Marxist Communist Party raised the issue of fertilizer crisis : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी मध्य प्रदेश में खाद संकट खत्म करने की मांग की है। उन्होने कहा है कि चुनाव के बाद तो खाद का संकट खत्म जाए। माकपा ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि अब जबकि प्रशासन और सरकार विधानसभा चुनावों की जिम्मेदारी से मुक्त हो चुके हैं तब भी प्रदेश का किसान खाद के संकट और कालाबाजारी से मुक्त नहीं हुआ है। संकट की निरंतरता और गहराने से साफ है कि सरकार के संरक्षण और प्रशासन की मिलीभगत से ही किसान कालाबाजारी के शिकार हो रहे हैं।
माकपा ने की खाद संकट दूर करने की मांग
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने कहा कि भाजपा नेता, सरकार और प्रशासन यह दावा तो कर रहे हैं कि प्रदेश में खाद का कोई संकट नहीं है, मगर यह नहीं बता रहे हैं कि खाद कहां है, क्योंकि सहकारी और विपरण समितियों में तो किसान सुबह से लेकर शाम तक लंबी लाईनों में परेशान हो कर वापस लौट रहे हैं। माकपा नेता ने कहा है कि यह तब है जब रबी की फसल की बोवनी पूरे जोर पर है। किसान गेहूं, सरसों, मटर, आलू, प्याज,लहसुन जैसी फसलें बीज रहे हैं और उनके पास खाद नहीं है।
मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की
जसविंदर सिंह ने कहा है कि खाद का संकट सिर्फ किसानों की लूट का रास्ता ही साफ नहीं करता है बल्कि नकली खाद और कालाबाजारी के धंधे की व्यवस्था भी करता है। इससे रबी की फसल का उत्पादन भी प्रभावित होगा। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि प्रदेश में 139.06 हैक्टेयर रबी की बोवनी के लिए 20 लाख मीट्रिक टन यूरिया, 10 लाख मीट्रिक टन डीएपी और 3 लाख मीट्रिक टन एनपीके की आवश्यकता है। सरकार जब यह कह रही है कि पर्याप्त मात्रा में खाद है तो उसे बताना चाहिए कि कौन कौन सी खाद कितनी मात्रा में उपलब्ध है और बाकी की व्यवस्था कब तक हो जाएगी। जसविंदर सिंह ने कहा है कि खाद की खुलेआम कालाबाजारी से साफ है कि सरकार अपने अंतिम समय में चंदा देने वाले कालाबाजारियों को उपकृत कर रही है क्योंकि अब तो प्रशासन की चुनावी व्यस्तता का भी बहाना नहीं है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने मुख्यमंत्री से तुरंत हस्तक्षेप कर खाद के संकट का समाधान करने और किसानों को कालाबाजारी से निजात दिलाने की मांग की है।