MP News : वर्ष 2023 के बाद मध्य प्रदेश राज्य में एक बेहद ही सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिला। परिवर्तन था सरकार का भ्रष्टाचार के खिलाफ रवैया। मोहन यादव और उनकी सरकार के निर्णय को देखते हुए यह साफ तौर पर स्पष्ट हो गया था कि ‘यह सरकार नहीं करेगी बर्दाश्त भ्रष्टाचार’…
इस बात को लेकर न केवल राजधानी के स्तर पर बल्कि जिला तहसील और पंचायत स्तर पर भी कार्यवाही की गई। मकसद सिर्फ एक आम इंसान की सहूलियत और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस।
लेकिन अभी हाल ही में मध्य प्रदेश लोक निर्माण विभाग में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे देखकर यह प्रतीत होते है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार के अभियान में कोई सेंध लगाने का प्रयास कर रहा है।
मामला है मध्य प्रदेश के पीडब्ल्यूडी नॉर्थ जोन का जहां पर एक ऐसे अधिकारी को पूरे जोन की बागडोर सौंप दी गई जिसके खिलाफ रिश्वत लेने और पद के दुरुपयोग का आरोप है। और जिसके खिलाफ राज्य सरकार द्वारा आरोप पत्र जारी कर 15 दिन के भीतर जवाब मांगा गया है।
क्या था पूरा मामला
दरअसल जब सुप्तिलाल सूर्यवंशी भोपाल (जो की PWD में अधीक्षण यंत्री हैं) मैं प्रभारी मुख्य अभियंता के रूप में पदस्थित थे तब क्यूब कंस्ट्रक्शन नाम की कंपनी जो की वडोदरा की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी है और इंदौर की कल्याण टोल इन्फ्रास्ट्रक्चर लि. पर पेनल्टी लागू की। यह दोनों कंपनियां भोपाल में हमीदिया अस्पताल का भवन निर्माण कर रही थी।
दोनों ही कंपनियों द्वारा भवन निर्माण की तय समय सीमा को बढ़ाने के लिए आवेदन दिया गया जिसे सूर्यवंशी द्वारा ना मंजूर किया गया। इतना ही नहीं सूर्यवंशी द्वारा इन दोनों ही कंपनियों पर कॉन्ट्रैक्ट के नियमों का उल्लंघन करने की बात कर पेनल्टी भी लगाई है।
इन दोनों ही मामलों में जो गौर करने वाली बात थी वह यह थी कि सूर्यवंशी ने जो भी कार्रवाई इन कंपनियों पर की वह उनके आधिकारिक क्षेत्र का मामला था ही नहीं।
इस मामले में केवल पीआईयू के संयुक्त परियोजना संचालक को ही कार्रवाई करने का अधिकार है, लेकिन अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन कर सूर्यवंशी ने कंपनी पर पेनल्टी लागू की।
जब कंपनी द्वारा इस पेनल्टी के खिलाफ अपील की गई, तब अपने आदेश के खिलाफ की गई अपील की खुद ही सुनवाई कर सूर्यवंशी ने इस अपील को ख़ारिज कर दिया, जो ना केवल एक गंभीर अनियमितता की श्रेणी में आता है बल्कि नैसर्गिक न्याय के विपरीत भी था।
हालांकि यह कोई पहला मामला नहीं था जब सूर्यवंशी द्वारा इस तरह किसी कंपनी पर पेनल्टी लगाई गई हो। इससे पहले हरदा में भी एक कंपनी पर सूर्यवंशी द्वारा समान प्रकार की बात कह पेनल्टी लगाई गई थी। इसके बाद कंपनी द्वारा सूर्यवंशी के आदेश के खिलाफ अपील की गई और उनके आदेश को अवैधानिक करार कर निरस्त कर दिया गया। बावजूद इसके सूर्यवंशी द्वारा इन दोनों कंपनियों पर सामान प्रकार की कार्रवाई की गई।
इस कार्रवाई को लेकर सूर्यवंशी को सिविल सेवा नियम 1965 की धारा 30 (1) के उल्लंघन का दोषी ठहरा और 15 दिन में (15अगस्त तक) समुचित जवाब ना मिलने के चलते विभागीय जांच के आधार पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की चेतावनी भी दी गई है।
हालांकि यह कोई पहला मामला नहीं जब सूर्यवंशी मीडिया की खबरों के किरदार बने हो! इससे पहले आय से अधिक संपत्ति मामले में EOW के छापे की कार्रवाई को लेकर सूर्यवंशी खबरों में रह चुके हैं।
अब सबसे बड़ा सवाल जो सामने खड़ा होता है वह यह है कि आखिर क्यों एक अधिकारी जिसके खिलाफ आरोप पत्र जारी हुआ हो एवं EOW की जांच लंबित हो, उसे ग्वालियर जैसे महत्वपूर्ण और विकास की ओर अग्रणी संभाग और नॉर्थ जोन की कमान सौंपी गई! आखिर क्या सूर्यवंशी का कोई पॉलीटिकल कनेक्शंस इस पद का लाभ दिलाने के लिए उन्हें मदद कर रहा है? आखिर क्यों महत्वपूर्ण पदों पर बैठे उच्च अधिकारी इस गंभीर मामले को लेकर अपनी आंखें मूंदे हुए हैं?