भोपाल। मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में इंडोनेशिया और थाईलैंड से आई जमात को लेकर कुछ दिन पहले हुए विवाद के बाद रविवार को हुई विधायक दल की बैठक में कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने यह मामला मुख्यमंत्री कमलनाथ के सामने उठाया। उन्होंने कहा कि बड़वानी में एसपी द्वारा जारी आदेश के बाद अल्पसंंख्यकों में नाराजगी है अब तक इस मामलें कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जिसका असर आगामी लोकसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है।
उन्होंने कहा कि पूरे देश के अंदर कांग्रेस की छवि जो है वह खराब हो रही है और सरकार ने अभी तक इस मामले में कोई एक्शन नहीं लिया है इसका प्रभाव आगामी लोकसभा चुनाव में भी पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि बड़वानी मामले में एसपी द्वारा जारी किए गए आदेश से अल्पसंख्यक को समाज में एक गलत संदेश गया है। इसके अलावा तबादले को लेकर भी विधायकों ने अपनी बात रखी। मसूद ने मुख्यमंत्री के सामने कहा कि अगर तबादलों में विधायकों की राय शामिल नहीं की जाएगी तो आने वाले चुनाव में उनके क्षेत्र से लोकसभा उम्मीदवार को जिताने के लिए नतीजे पर प्रभाव पड़ सकता है।
पाठक ने तबादले पर कही ये बात
इधर ग्वालियर विधायक प्रवीण पाठक ने भी तबादले के मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि अगर विधायक की मर्जी के मुताबिक तबादले नहीं किए जाएंगे तो उनके क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के दौरान आने वाले परिणामों की जिम्मेदारी उनकी नहीं होगी। विधायक दल की बैठक में मौजूद विधायकों ने उनकी बात का समर्थन किया।
गौरतलब है कि प्रदेश में नई सरकार आने के बाद से लगातार बडे़ स्तर पर प्रशासनिक सर्जरी की जा रही है। आईएएस, आईपीएस और राज्य सेवा के अफसरों को बदला जा रहा है। लेकिन हाल ही में सरकार ने कई अफसरों के तबादले निरस्त किए या फिर उनकी पोस्टिंग बदली। जिससे इस बात का संकेत गया कि सरकार फिलहाल तबादले करने को लेकर काफी असमंजस में है। वहीं, सूत्रों के मुताबिक पार्टी में कई विधायकों और मंत्रियों की राय भी शामिल नहीं की गई। जिससे उनमें नाराजगी है। कई विधायकों का कहना है ��ि अगर उनके हिसाब से अफसर नहीं होगा तो काम का संतुलन कैसे होगा।
क्या है बड़वानी मामला
पुलिस मुख्यालय के इंटेलीजेंस आईजी मकरंद देउस्कर ने पत्रकारवार्ता में बताया था कि इंडोनेशिया और थाईलैंड से दो फरवरी को जमातें बड़वानी आई थीं। इंडोनेशिया के पांच और थाईलैंड के सात लोग जमातों में शामिल थे, जिनकी गारंटी विदेशियों के एक फार्म में बड़वानी जिले के सदर ने ली थी। इनके पास टूरिस्ट वीजा था और ये लोग एक धार्मिक स्थल में रुके थे। पुलिस को सूचना मिली थी कि ये लोग धर्म का प्रचार कर रहे हैं। टूरिस्ट वीजा को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय की गाइडलाइन में धर्म के प्रचार को वीजा शर्तों का उल्लंघन बताया गया।