भोपाल| मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद तबादलों को लेकर जमकर खींचतान चल रही है| दो माह की सरकार में लगातार तबादले का दौर चल रहा है| जिसको लेकर जहां विपक्ष ने सरकार पर तबादला उद्योग चलाने का आरोप लगाया है| वहीं कांग्रेस विधायकों ने मुख्यमंत्री के सामने नाराजगी जाहिर की है| उनका कहना है कि मंत्री बिना उनकी सहमति के तबादले करा रहे हैं| उनके क्षेत्र में उनकी सहमति के बिना तबादले नहीं किए जाएं। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस मांग पर मंत्रियों को हिदायत दी कि संबंधित क्षेत्र के विधायक से पूछे बिना कोई भी तबादला नहीं किया जाए।
विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लोकसभा चुनाव में जुट जाने को कहा तो विधायकों ने अपनी नाराजगी जाहिर की | एक विधायक ने कहा कि हम कैसे जिताएंगे, तबादलों में उनकी सहमति तक नहीं ली जा रही। ज्यादातर विधायकों ने मांग की कि उनके क्षेत्र में उनकी सहमति के बिना तबादले नहीं किए जाएं। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस मांग पर मंत्रियों को हिदायत दी कि संबंधित क्षेत्र के विधायक से पूछे बिना कोई भी तबादला नहीं किया जाए। ऐसे तबादले निरस्त किए जाएंगे।
बैठक में विधायक आरिफ मसूद का कहना था कि माइनॉरिटी के प्रति एडीजी इंटेलिजेंस के रवैया ठीक नहीं है। बड़वानी के मामले में उनकी बात तक नहीं सुनी गई। अधिकारी विधायकों की बात को गंभीरता से लें। बैठक में विधायकों ने शिक्षकों के ट्रांसफर किए जाने का भी मुद्दा उठाया। वहीं मुख्यमंत्री ने कहा कि परीक्षाओं के बाद शिक्षकों के ट्रांसफर खोल दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कुछ मंत्रियों के देरी से आने पर भी नाराजगी व्यक्त की और साफ कहा कि विधायकों की जो भी दिक्कतें हैं उनके साथ बैठकर उनका हल निकाला जाए। आगे इस तरह की स्थिति नहीं बननी चाहिए। मुख्यमंत्री निवास में रविवार की रात रात दस बजे तक चली बैठक में 106 विधायक पहुंचे। मंत्री बाला बच्चन व महेंद्र सिंह सिसौदिया, सिद्धार्थ कुशवाह और टामलाल सहारे सहित सात विधायक बैठक में व्यक्तिगत कारणों से नहीं पहुंचे। सूत्रों के मुताबिक बैठक में सदन विपक्ष के आरोपों से सरकार को घेरने से बचाने के लिए रणनीति पर चर्चा हुई।