भोपाल। लगातार तीन बार तारीख में बढ़ोत्तरी भी बेअसर ही दिखाई दे रही है। जहां पिछले बरस हज आवेदन की तादाद 16 हजार के पार पहुंची थी, वह संख्या इस बार 13 हजार के आसपास ही सिमट कर रह गई है। ऑनलाइन व्यवस्था के चलते हुए कम आवेदनों को देखते हुए हज कमेटी ने सेंट्रल हज कमेटी से गुजारिश की है कि हज कुर्रा होने तक आवेदन का सिलसिला जारी रखा जाना चाहिए।
10 अक्टूबर से शुरू हुए हज आवेदन के सिलसिले के दौरान इसकी आखिरी तारीख 6 नवंबर तक प्रदेशभर से महज 6 हजार आवेदन ही जमा हो पाए थे। इस हालात को देखते हुए आखिरी तारीख में बढ़ोत्तरी की गुहार लगाई गई थी और यह तारीख बढ़कर 17 दिसंबर तक कर दी गई थी। लेकिन इन बढ़े हुए दिनों का असर भी कुछ खास नहीं हो पाया। हज आवेदनों की तादाद 12 हजार के आसपास आकर रुक गई थी। आवेदन तारीख को एक बार फिर बढ़वाया गया और इसके लिए आखिरी तारीख 23 दिसंबर तक बढ़ाया गया। इन बढ़े हुए एक सप्ताह के दिनों में भी हज आवेदन का आंकड़ा पिछले सालों से कम ही नजर आ रहा है। सोमवार को खत्म हुए आवेदन के सिलसिले के दौरान हज आवेदन की संख्या 13 हजार के आसपास आकर ठहर गई है।
अब कुर्रा तक आवेदन की गुहार
हज कमेटी के वरिष्ठ सदस्य अब्दुल मुगनी ने बताया कि कई तरह के प्रयासों और तीन बार तारीख बढ़ाने के बाद भी हज आवेदन की तादाद पिछले सालों की तुलना में कम ही है। इसके लिए उन्होंने ऑनलाइन व्यवस्था और पिछले कुछ दिनों से देशभर में चल रहे हालात को जिम्मेदार बताया। मुगनी ने कहा कि हज कमेटी ऑफ इंडिया से निवेदन किया गया है कि हज कुर्रा की तारीख तय होने तक आवेदन का सिलसिला जारी रखा जाए, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसमें शामिल हो सकें।
ऑनलाइन व्यवस्था का असर
अब तक एच्छिक रहने वाले ऑनलाइन हज आवेदन को इस बार सेंट्रल हज कमेटी ने पूरी तरह से अनिवार्य कर दिया है। ऑफलाइन आवेदन की व्यवस्था खत्म होने का असर यह है कि ग्रामीण, अशिक्षित और कमजोर तबके के लोग इस प्रक्रिया में शामिल होने से कतराते नजर आए। यही वजह है कि जहां प्रदेश में 22 हजार आवेदन होने का रिकार्ड है, वहीं तीन बार तारीख बढ़ाने के बाद भी यह संख्या आधे जैसी ही होकर रह गई है। हालांकि प्रदेश हज कमेटी ने ऑनलाइन हज आवेदन के लिए कई सुविधाएं लोगों के लिए जुटाई थीं। बावजूद इसके लोग हज आवेदन करने नहीं पहुंच पाए।
महंगाई भी कर रही प्रभावित
जानकारी के मुताबिक पिछले साल हाजियों को हज सफर के लिए करीब सवा दो-ढ़ाई लाख रुपए तक खर्च करना पड़े थे। उम्मीद की जा रही है कि इस बार हजयात्रा पहले से और भी ज्यादा महंगी होगी। नोटबंदी के बाद से देश में छाए मंदी के हालात के चलते लोगों का इस अकीदत के सफर की तरफ से रुझान कुछ कम हुआ है।
रियासत भोपाल के लिए नई परेशानी
सूत्रों का कहना है कि लंबे समय से चल रहे भोपाल रुबात के चलते इस साल सउदी अरब स्थित बिल्डिंगों में सउदी अरब सरकार के ताले डल गए हैं। ऐसी हालत में भोपाल, सीहोर, रायसेन जिलों के हाजियों को मिलने वाली रुबात सुविधा नहीं मिल पाएगी। इसका असर यह होने वाला है कि यहां के हाजियों को 30-35 हजार रुपए तक ज्यादा खर्च करना पड़ेंगे। गौरतलब है कि सउदी अरब में मक्का और मदीना में मौजूद नवाबकालीन रुबात के चलते रियासत भोपाल के हाजियों को रिहाईश का पैसा नहीं देना पड़ता था। लेकिन रुबात व्यवस्था के विवाद में होने के चलते उन्हें यह रकम अदा करना पड़ सकती है।