MP : विवादों में घिरा प्रोफेसरों के सातवें वेतनमान का आदेश, विभाग ने बेवसाइट से हटाया

Published on -

भोपाल।

सोमवार को राज्य सरकार द्वारा जारी सातवें वेतनमान के आदेश को लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है। विवि शिक्षक संघ ने इसको लेकर आपत्ति जताई है। उन्होंने सरकार के इस आदेश को अन्यायपूर्ण करार दिया है। संघ के इस विरोध के बाद विभाग में ह़ड़कंप मच गया है और बताया जा रहा है कि देर रात आदेश को वेबसाइट से भी हटा दिया गया है। जल्द ही विभाग संशोधित आदेश जारी करेगा।

दरअसल, दो दिन पहले सोमवार को  उच्च शिक्षा विभाग ने शासकीय महाविद्यालयों और विवि के शिक्षकों और उनके समतुल्य को सातवें वेतनमान का लाभ देने संबंधी आदेश सोमवार को जारी किए थे। जिसको, लेकिन इस आदेश के जारी होते ही गंभीर विवाद की स्थिति बन गई है। सातवें वेतनमान के इस आदेश में इतनी गंभीर त्रुटियां हैं कि विवि शिक्षकों में आक्रोश है। इस आदेश को उन्होंने अन्यायपूर्ण बताया है।

विवि शिक्षक संघ का मानना है कि इस आदेश में कई गंभीर त्रुटियां है। पहले में जितने भी वेतनमान संबंधी आदेश जारी हुए हैं उनमें विवि के शिक्षकों के वेतनमान और विवि के अधिकारियों को वेतन दिए जाने संबंधी अलग से एवं स्पष्ट उल्लेख किया जाता था। लेकिन इस बार जो आदेश उच्च शिक्षा विभाग ने जारी किया हैं उसमें मात्र कुलसचिव के ही वेतन का उल्लेख है। इसमें न तो विवि शिक्षकों और न ही कुलपति के वेतन की जानकारी दी गई है। उन्होंने कहा कि 9000 एजीपी के शिक्षकों को 2.57 के गुणांक के आधार पर वेतन निर्धारित किया जाना था। जबकि 10 हजार एजीपी और उससे अधिक के शिक्षकों एवं अधिकारियों का वेतन 2.67 के गुणांक के आधार पर, लेकिन विभाग ने सभी के वेतन का निर्धारण 2.57 के गुणांक के आधार पर कर दिया। ऐसे में 10 हजार एजीपी और उससे अधिक वालों को लगभग 10 से 15 हजार रुपए मासिक का नुकसान होगा।संघ ने इस आदेश को अन्यायपूर्ण बताया है।

खबर है कि विरोध के चलते और त्रुटियों की जानकारी सामने आने के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने देर रात वेबसाइट से इस आदेश को हटा दिया है। अब इसमें संशोधन कर इसके फिर से एक दो दिन में जारी किया जा सकता है।


About Author

Mp Breaking News

Other Latest News