भोपाल। मध्य प्रदेश के विधायकों के वेतन भत्ते बढ़ाने के लिए कवायद तेज़ हो गई। विधानसभा सचिवालय ने अन्य राज्यों में विधायकों को दिए जा रहे वेतन-भत्तों की जानकारी मांगी है। विधानसभा उपाध्यक्ष हिना कांवरे वाली कमेटी इसके लिए अध्ययन कर रही है। नई सरकार ने दो बार विधायकों के वेतन भत्ते बढ़ाने की मांग उठ चुकी है।
आर्थिक संकट से जूझ रही सरकार के सामने चुनौतियों का पहाड़ है। इससे पहले कैबिनेट बैठक में चार पहिया के लिए कर्ज का प्रस्ताव रद्द हो चुका है। फिजूलखर्ची पर रोक लगाने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पहले ही निर्देश जारी किए हैं। यही नहीं उन्होंने किसान कर्ज माफी को प्रथमिकता पर रखा है। ऐसे में फंड का इंतज़ाम करना और विधायकों के वेतन भत्ते बढ़ाना बढ़ी चुनौती है। दूसरी ओर जनता के बीच भी इसका संदेश अच्छा नहीं जाएगा।
प्रदेश के विधायकों के 2016 में ही वेतन-भत्ते 71 हज़ार से बढ़ाकर 1.10 लाख किए गए थे। सीएम का वेतन 1.43 लाख से दो लाख, स्पीकर का वेतन 1.20 से 1.85 लाख, मंत्रियों का वेतन 1.20 लाख से 1.70 लाख और राज्य मंत्रियों का वेतन 1.03 लाख से बढ़ाकर 1.50 लाख रुपए किया गया था।
विधानसभा उपाध्यक्ष हिना कांवरे ने कहा कि, ‘विधायकों के वेतन भत्ते के मामले में कमेटी की पहली बैठक हो चुकी है। कमेटी की दूसरी बैठक होना है। इसके बाद ही कुछ तय हो पाएगा।