MP News : डूब की ज़मीन के मुआवजे को लेकर किसान ने लगाए पटवारी पर आरोप, फरियाद लेकर फिर पहुंचा भोपाल, छतरपुर का मामला

किसान ने कहा कि वो मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत से पहले मिला था जब वे मंत्री थे उनका पत्र भी कलेक्टर को दिया लेकिन फिर भी कुछ नहीं हुआ, मैं अब इस सरकार के राजस्व मंत्री से उम्मीद के साथ मिलने आया हूँ शायद मुझे न्याय मिल जाये।  

Chhatarpur farmer

MP News : मध्य प्रदेश की सरकार किसानों के हिट में तमाम फैसले ले रही है लेकिन सरकारी मुलाजिम सरकार के प्रयासों पर बट्टा लगा रहे हैं जिसके चलते किसान परेशान हो रहे हैं। ताजा मामला छतरपुर के एक किसान का है जिसके खेत और मकान को सरकार ने बाँध के लिए अधिग्रहीत कर लिया, गांव में मुआवजा भी दिया जा रहा है लेकिन उसे सरकार द्वारा तय कीमत पर मुआवजा नहीं दिया जा रहा, किसान का आरोप है कि ये सब पटवारी के कारण हो रहा है। किसान भोपाल के चक्कर लगा चुका है लेकिन एक बार फिर एक नई उम्मीद के साथ भोपाल पहुंचा है।

किसान का घर और खेत डूब क्षेत्र में, मुआवजे के लिए भटक रहा  

राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा से मिलने और उन्हें अपनी फरियाद सुनाने के लिए छतरपुर का किसान रमेश यादव भोपाल पहुंचा है, किसान का कहना है कि उसका खेत और मकान डूब क्षेत्र में आ रहे हैं सरकार ने बांध के लिए उसकी जमीन को अधिग्रहीत किया है लेकिन अब मुआवजे के नाम पर उसके साथ धोखा किया जा रहा है।

किसान का आरोप , पटवारी दूसरों को ज्यादा मुझे कम मुआवजा दे रहा 

मंत्री को लिखे आवेदन में किसान रमेश यादव ने बताया कि उसके गाँव में अधिग्रहीत की जा रही जमीन पर किसान को 4 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया जा रहा है लेकिन मुझे  डेढ़ लाख रुपये के हिसाब से मुआवजा दिया जा रहा है, किसान ने कहा कि ये सब पटवारी की मिलीभगत से हो रहा है।

राजस्व मंत्री वर्मा से मिलने भोपाल पहुंचा 

किसान ने कहा कि वो कई साल से चक्कर लगा रहा है, कलेक्टर को कई आवेदन दे चुका, एसडीएम को कई शिकायत कर चुका लेकिन कोई नहीं सुन रहा,  मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत से पहले मिला था जब वे मंत्री थे उनका पत्र भी कलेक्टर को दिया लेकिन फिर भी कुछ नहीं हुआ, मैं अब इस सरकार के राजस्व मंत्री से उम्मीद के साथ मिलने आया हूँ शायद मुझे न्याय मिल जाये।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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