भोपाल
मध्यप्रदेश में तेज गति से कोरोना (corona) का संक्रमण बढ़ रहा है। प्रदेश के 52 में से 43 जिले संक्रमित लिस्ट में शुमार हो गए हैं, ऐसे में ज्यादा एहतियात बरतने की जरूरत है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की तरफ से एक बडी लापरवाही निकलकर सामने आ रही है। जितनी बड़ी तादाद में सैंपल नेगेटिव आ रहे हैं, उससे ये सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या वाकई में वो निगेटिव हैं या उन्हें लेने से लेकर स्टोरेज तक में लापरवाही बरती जा रही है।
अब तक पूरे मध्यप्रदेश से 14 मई तक 80760 सैंपल की रिपोर्ट आ चुकी है, इनमें से 10 हजार से ज्यादा सैंपल ऐसे हैं जो रिजेक्ट की कैटगरी में आए हैं। इसके साथ ही बीते 10 दिन में 890 सैंपल रिजेक्ट हुए हैं। यह आंकडे साफ दिखाते हैं कि सैंपलों की कलेक्टिंग में किस कदर लापरवाही बरती जा रही है। दरअसल यह लापरवाही सैंपल को लेने से लेकर उसे ले जाने तक के बीच में हो रही है।
यह है रिजेक्ट होने की वजह
सैंपलिंग- सैंपल लेते समय अगर स्वाब की मात्रा कम होगी तो सैंपल रिजेक्ट हो जाएगा। इसी के ही साथ स्वाब लेने में अगर कोई गलती हुई तो भी सैंपल रिजेक्ट हो जाएगा।
ट्रांसपोर्ट- सैंपल को लाते ले जाते समय तापमान का बहुत फर्क भी सैंपल पर पड़ता है।
स्टोरेज- सैंपल को 5 दिन तक 4 डिग्री सेल्सियस और 5 दिन से ज्यादा होने पर 70 डिग्री पर रखना होता है। अगर यह तापमान मेंटेन नहीं हो पाएगा तो सैंपल रिजेक्ट हो जाएगा।