नई आबकारी नीति : बैकफूट पर शिवराज सरकार, अब जुलाई से लागू करने की तैयारी

Pooja Khodani
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shivraj singh

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कांग्रेस (Congress) के विरोध और पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की फायर ब्रांड नेत्री उमा भारती (Uma bharti) के शराबबंदी (liquor ban) के अभियान शुरु करने के ऐलान के बाद मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की शिवराज सरकार (Shivraj Government) बैकफुट पर आ गई है। खबर है कि अब नगरीय निकाय चुनाव (Urban Body Election) के बाद नई आबकारी नीति को लागू किया जाएगा। नई नीति को 1 अप्रैल की बजाय अब 1 जुलाई से लागू करने की तैयारी की जा रही है, ताकी तबतक मामला शांत हो और इसका असर चुनावों पर ना पड़े।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रदेश में इस समय 3605 शराब की दुकानें है, जबकि 10 साल पहले 2770 दुकानें थीं। शिवराज सरकार द्वारा 1 अप्रैल से नई आबकारी नीति लागू की जानी थी, इसमें कई नई दुकानें खोली जानी थी। इसके लिए बीते हफ्ते ही आबकारी विभाग (Excise Department) ने प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट में मंजूरी के लिए भेज दिया था, लेकिन कांग्रेस और अपनों से घिरी सरकार ने इसे तीन महिने तक टालने का फैसला किया है। अब 1 जुलाई से यह नीति लागू होगी।

बता दे कि हर साल 15 मार्च तक टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर ली जाती है, ताकि आगामी वित्तीय वर्ष (1अप्रैल से 31 मार्च) में शराब के ठेके 1 अप्रैल से शुरू हो सकें, लेकिन वर्ष 2020-21 के लिए प्रस्ताव तैयार होने से पहले ही नई शराब दुकानों को लेकर विवाद शुरू हो गया, जिसके चलते इसे टाल दिया गया है।वही पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 में 8,321 करोड़ रुपए की कमाई की थी, जबकि इस साल यानि 2020-21 में 10 हजार 318 करोड़ रुपए की कमाई की उम्मीद थी।

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बता दे कि पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती महिला दिवस 8 मार्च से प्रदेश में शराबबंदी और नशा मुक्ति के लिए अभियान चलाने जा रही हैं। इस अभियान के ऐलान के बाद से ही सियासी गलियारों में सरगर्मियां तेज हो गई है।

इस पर अभी फैसला होना बाकी है। इससे नगरीय निकाय चुनाव का कोई लेना-देना नहीं है। BJP का हर नेता नशा के खिलाफ है। नशा के खिलाफ प्रदेश में जनजागरण चलाया जाएगा, समाज को नशे से दूर रखने का प्रयास हो रहा है। गांव को नशे से दूर रखने का पहले से प्रयास हो रहा है।

विश्वास सारंग, कैबिनेट मंत्री, मप्र शासन


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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