भोपाल। प्रदेश में मनरेगा योजना के तहत 68.29 लाख से ज्यादा मजदूर परिवारों में से महज 37.67 लाख हजार परिवारों को ही रोजगार मिल सका है। इस हिसाब से देखें तो प्रदेश के 30.61 लाख परिवारों को रोजगार ही उपलब्ध नहीं कराया गया। कहने के लिए तो योजना के तहत मजदूर परिवारों को एक वित्तीय वर्ष में गारंटी के साथ 100 दिन का रोजगार देना है, लेकिन भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट की माने तो प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2018-19 में अब तक महज 63509 परिवारों को ही 100 दिन का रोजगार मिल सका है। इसमें सबसे ज्यादा 5643 हजार परिवारों को 100 दिन का रोजगार देने में डिंडोरी प्रदेश में पहले स्थान पर हैए जबकि 129 परिवारों को 100 दिन का रोजगार देकर नीमच प्रदेश में का सबसे फिसड्डी जिला है। यह तो वे आंकड़े हैं जो पंचायत विभाग द्वारा वेबसाइट पर दर्ज किए गए हैंए जबकि हकीकत इन आंकड़ों से कोसों दूर है।
प्रदेश की स्थिति
6829294 कुल जॉबकार्डधारी परिवार।
4479331 ने मांगा रोजागर।
3767767 को उपलब्ध कराया रोजगार।
63509 को मिला 100 दिन का रोजागर।
100 दिन रोजगार देने में प्रदेश के टॉप-5 जिले
डिंडोरी-5643
मंडला-5068
बालाघाट-3502
छिंदवाड़ा-2919
बैतूल-2790
नोट- यह आंकड़े भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय की अधिकृत वेबसाइट के अनुसार हैं।
174 के बजाय दे रहे 33 रुपए मजदूरी
पमनरेगा के तहत अकुशल श्रेणी के श्रमिकों के लिए 174 रुपए मजदूरी देने का प्रावधान है। यह प्रावधान राष्ट्रीय स्तर पर समान रूप से लागू होने के बाद भी मप्र के पन्ना जिले के शाहनगर जनपद की टूड़ा पंचायत में लोगों को 10 और 33 रुपए की औसत मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है। यह जानकारी मनरेगा के पोर्टल में उपलब्ध है। पन्ना जिले में इसके तहत एक लाख से भी अधिक जॉबकार्ड जारी किए गए हैं। शाहनगर जनपद पंचायत में मजदूरों का सबसे अधिक शोषण किया जा रहा है।
इस तरह मजदूरों का हुआ शोषण
पन्ना जिले के अन्य जनपद में देखा जाए तो औसत मजदूरी 174 रुपए दी गई है, लेकिन शाहनगर की ग्राम पंचायत टूड़ा में सितंबर 2018 में 10 और अक्टूबर में 33 रुपए औसत मजदूरी का भुगतान प्रतिदिन किया गया। चन्द्रवाल में फरवरी 2018 में 100 रुपए प्रतिदिन और जनवरी में 110 रुपए का भुगतान किया गया। वहीं मुलपारा में जनवरी 2019 में 101 रुपए, थेपा में दिसंबर 2018 में 125 रुपए, महेवा में जुलाई 2018 में 109 रुपए, जमुनहाई में अप्रैल 2018 में 113 रुपए प्रति मजदूर औसत मजदूरी का भुगतान किया गया। सरकारी रिकॉर्ड में ही महीनों से गरीब मजदूरों का शोषण किया जा रहा है।
इनका कहना है
अफसरशाही द्वारा मजदूरों का गलत तरीके से शोषणा किया जा रहा है। मजदूरों के शोषण के खिलाफ आवाज उठाएंगे। मामले को आगामी दिनों में विधिक सेवा प्राधिकरण में रखा जाएगा। मजदूरों का हक दिलाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।
ज्ञानेंद्र तिवारी, राज्य कार्यक्रम प्रबंधक, समर्थन भोपाल