भोपाल। मध्य प्रदेश में महिला एवं बाल विकास में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका के चयन का मामला विवादों में आ गया है| अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों को प्रतिनिधित्व देने के लिए कुल अंकों के साथ जाति के आधार पर बोनस 5 अंक दिए जाते हैं। अब बोनस के अंकों को 5 से बढ़ाकर 20 किया जा रहा है, जिस पर सपाक्स ने आपत्ति जताई है| सपाक्स ने इसे सामान्य एवं पिछड़ा वर्ग के खिलाफ षड्यंत्र बताया है, साथ ही इस भेदभाव के लिए विभागीय प्रमुख सचिव जेएन कंसोटिया की कार्यशैली पर सवाल उठाये हैं|
सपाक्स का कहना है कि बोनस अंकों के कारण मध्य प्रदेश में कुल आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं में से अनुसूचित जाति की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता 17% तथा अनुसूचित जनजाति के आंगनवाड़ी कार्यकर्ता 20% है साथ ही अनुसूचित जाति की सहायिका 25% तथा अनुसूचित जनजाति की सहायता सहायिका 26% हैं। जो की इन की कुल आबादी का आबादी 16% तथा 20% से कहीं बराबर एवं कहीं अधिक ही है। इसके बावजूद षड्यंत्र पूर्वक अनुसूचित जाति और जनजाति के पक्ष में भेदभाव किया जा रहा। अब बोनस के अंकों को 5 से बढ़ाकर 20 किया जा रहा है, बोनस के अंक बढ़ाने के कारण अब अनुसूचित जाति जनजाति के अभ्यर्थियों की ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका के पद पर नियुक्ति होंगी और भविष्य में सामान्य तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के किसी भी अभ्यर्थी को आंगनवाड़ी केंद्रों में नौकरी ही नहीं मिलेगी।
सपाक्स का आरोप है कि विभाग द्वारा षड्यंत्र पूर्वक नए आदेश प्रसारित किये जा रहे हैं जिससे भविष्य में केवल अनुसूचित जाति और जनजाति की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका के पद पर नियुक्ति होगी| सपाक्स ने इसके लिए विभागीय प्रमुख सचिव जेएन कंसोटिया को सवालों के घेरे में रखते हुए इस तरह के आदेश पर आपत्ति जताई है|