भोपाल।पूजा खोदाणी।
कमलनाथ सरकार ने सत्ता में आने के बाद यह तय किया था कि कलेक्टर का नाम बदला जाए क्योंकि इससे अंग्रेजियत की बू आती है और आज भी इस पद के साथ आम जनता का आत्मीय संबंध स्थापित नहीं हो पाया है।कलेक्टर का पदनाम बदलने के पीछे सरकार का तर्क है कि यह नाम अंग्रेजों के जमाने का है। अंग्रेजों के समय जो राजस्व कलेक्टर करते थे उन्हें कलेक्टर कहा जाता था। इसमें अब बदलाव की जरूरत है, नया नाम आधुनिक होना चाहिए इस पर विचार किया जा रहा है।
अब सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाने जा रही है। कलेक्टर का नाम बदलने के लिए पांच अफसरों की एक कमेटी अपर मुख्य सचिव आईपीसी केसरी की अध्यक्षता में बनाई गई है जो सोमवार को मंत्रालय में पहली बैठक करेगी।इस कमेटी में पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव, मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के एमडी विशेष गढ़पाले और सागर कलेक्टर प्रीति मैथिल के साथ राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी शामिल है। यह कमेटी आपस में विचार मंथन करने के साथ-साथ अन्य लोगों से भी इस बारे में राय लेगी कि कलेक्टर का नया नाम क्या हो। हालांकि खुद मुख्यमंत्री कलेक्टर के नए नाम के बारे में जिला अधिकारी और जिलाधीश नाम सुझा चुके हैं।
अंग्रेजों के जमाने का नाम, इसलिए बदलने की कवायद
मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस बात के संकेत दिए थे कि सरकार जल्द ही कलेक्टर, पदनाम बदलेगी। इसके लिए आईएएस अधिकारियों से सुझाव भी मांगे गए थे, अब सरकार जल्द ही नाम परिवर्तन करने वाली है। मुख्यमंत्री कमलनाथ की मंशा के अनुसार यह पदनाम बदला जाएगा। कलेक्टर अंग्रेजों के जमाने का नाम है, इसलिए कमलनाथ सरकार इस नाम को बदलना चाहती है, नाम बदलने के लिए सरकार विचार कर रही है, जल्द ही इस पर फैसला किया जाएगा। अंग्रेजों के समय जो राजस्व कलेक्टर करते थे उन्हें कलेक्टर कहा जाता था।इसमें अब बदलाव की जरूरत है, नया नाम आधुनिक होना चाहिए इस पर विचार किया जा रहा है।
बीजेपी ने कसा तंज
इस मामले में बीजेपी चुटकी ले रही है। बीजेपी के प्रवक्ता दुर्गेश केसवानी का कहना है कि नाम बदलने से क्या होता है।मुख्य बात तो काम करने की है जो वर्तमान सरकार में कलेक्टरों के कार्य व्यवहार में बिल्कुल नहीं दिख रही। ऐसे में यदि नाम बदल भी दिया जाता है तो आम जनता के ऊपर क्या फर्क पड़ेगा ,यह सबसे बड़ा सवाल है।
क्या कहते है जानकार
जानकारों की माने तो देश में ब्रिटिश राज के दौरान भारत के पहले गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स ने वर्ष 1772 में डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर पद की शुरुआत करवाई थी। उस दौरान इंडियन सिविल सर्विसेज के सदस्य ही डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर हुआ करते थे जबकि देश की आजादी के बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी ही डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर बनते हैं।