भोपाल।
भले ही साध्वी प्रज्ञा ने शहीद हेमंत करकरे को लेकर दिए गए बयान से यू-टर्न ले लिया हो, लेकिन राजनैतिक गलियाओं में अब भी हलचल मची हुई है, चर्चाओं के साथ नसीहतों का दौर तेजी से चल रहा है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बाद अब जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने उन्हें नसीहत दी है। शंकराचार्य का कहना है कि साध्वी द्वारा यूं अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करना ठीक नहीं है।इससे पहले महाराष्ट्र सीएम ने कहा था कि साध्वी को इस तरह के बयान नहीं देने जाने चाहिए।
दरअसल, आज मीडिया से चर्चा के दौरान जब शंकराचार्य से साध्वी के बयान को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हेमंत करकरे पर बयान अनुचित है। ये बयान शहीदों का अपमान है। देश के प्रति उनकी मनोवृत्ति नहीं है।चुनाव में गाली गलौज नहीं होना चाहिए। संतो को अमर्यादित शब्द या भाषा का इस्तेमाल नही करना चाहिए।साध्वी साधु होते है उनके नाम के आगे गिरि, पुरी, सागर लगता है ठाकुर नहीं।
दिग्विजय का किया बचाव
वही उन्होंने दिग्विजय सिंह के खिलाफ की गई टिप्पणियों को संत की मर्यादाओं के विपरीत बताया। उन्होंने कहा कि महिषासुर जैसी भाषा का चुनाव लोकतंत्र का सूचक नहीं। अगर महिषासुर मर्दनी हैं तो दिग्विजय सिंह को भी श्राप देकर मार दीजिए पर्चा ही ना भर पाएं। उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह की मेरे प्रति भक्ति है, जो सच्चे हृदय से आता है उसकी मनोकामना पूरी होती है। बता दे कि आज मीडिया से चर्चा के दौरान साध्वी ने खुद को महिषासुर मर्दानी और दिग्विजय को महिषासुर बताया था।
महाराष्ट्र के सीएम भी दे चुके है नसीहत
इधर, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी साध्वी को नसीहत दी है। उनका कहना है कि भाजपा उम्मीदवार और मालेगांव विस्फोट मामले की आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को एटीएस के प्रमुख रहे दिवंगत हेमंत करकरे पर विवादित बयान नहीं देना चाहिए था। दिवंगत करकरे बहुत बहादुर और तेजतर्रार पुलिस अधिकारी थे और उन्हें हमेशा शहीद के तौर पर याद किया जाएगा। साध्वी प्रज्ञा की टिप्पणी उनकी निजी राय है और हम इसका समर्थन नहीं करते। उन्होंने माफी भी मांगी है और कहा है कि यह (बयान) व्यक्तिगत दर्द के कारण दे दिया। हालांकि मुझे लगता है कि इस तरह के बयान कभी नहीं दिये जाने चाहिए।
विवाद बढ़ने के बाद लिया यू-टर्न
इससे पहले शुक्रवार को साध्वी ने शहीद हेमंत को लेकर विवादित बयान दिया था। साध्वी ने कहा था कि 26/11 के मुंबई हमले में शहीद हुए एटीएस चीफ हेमंत करकरे को उनके कर्मों की सजा मिली है, उनके कर्म ठीक नहीं थे, इसलिए उन्हें संन्यासियों का श्राप लगा था। जिस दिन मैं जेल गई थी उसके 45 दिन के अंदर ही आतंकियों ने उसका अंत कर दिया। इसके बाद सियासी बवाल मच गया था। कांग्रेस ने साध्वी के बयान पर आपत्ति जताते हुए इसे शहीद का अपमान बताया था, वही मराठी समाज ,आईपीएस एसोशिएसन ने भी नाराज हो गया था। वही बीजेपी ने भी बयान से पल्ला झाड़ लिया था।इधर चुनाव आयोग ने भी मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच शुरु कर दी है। हालांकि बढ़ते विवाद के बाद साध्वी ने यू टर्न ले लिया है। साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि यदि उनके बयान से किसी को ठेस पहुंची है तो वो उसे वापस लेती हूं। माफी मांगती हूं, यह मेरी निजी पीड़ा थी।