भोपाल। राजधानी में एनआरसी, सीएए और एनपीआर के विरोध के स्वर लगातार बुलंद हो रहे हैं। शुक्रवार को राजधानी में अलग-अलग स्थानों पर हुईं प्रदर्शन सभा के दौरान सभी धर्मों के लोगों ने एक स्वर में कहा कि सियासत के खेल में देश के संविधान, संस्कृति और उसकी अस्मिता से खिलवाड़ न किया जाए। इधर इस मामले को लेकर राजधानी के नीलम पार्क में सभी धर्मों द्वारा एकसाथ विरोध करने का ऐलान किया गया है। इस दौरान जहां मुस्लिम समुदाय के लोग एक दिन का रोजा रखेंगे, वहीं हिन्दू और अन्य समाज के लोग उपवास रखकर शांतिपूर्ण तरीके से संविधान रक्षा की मांग करेंगे।
शुक्रवार को जुमा की नमाज के बाद सद्भावना मंच ने निजामुद्दीन कालोनी में एनआरसी, सीएए और एनपीआर जैसे कानून का विरोध करते हुए प्रदर्शन किया। शांतिपूर्ण तरीके से किए गए इस प्रदर्शन के दौरान सभी धर्मों के लोग शामिल थे। इस मौके पर सभी ने एक स्वर में संविधान में की जाने वाली छेड़छाड़ को राष्ट्र विरोधी गतिविधि करार दिया। वक्ताओं ने कहा कि देश को व्यवस्थित संचालित करने क लिए डॉ. अंबेडकर ने जो संविधान बनाया है, सियासी फायदे उठाने की गरज से उसमें छेड़छाड़ की जा रही है। जो देशहित में नहीं है। कानून में किए जाने वाले बदलाव इस देश की बरसों की गंगा-जमुनी तेहजीब को तार-तार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश की संस्कृति है कि हम अपने घर आने वाले हर मेहमान का दिल खोलकर स्वागत करते हैं, लेकिन देश की इस संस्कृति में धर्म, मजहब, जाति, वर्ग, सम्प्रदाय का घालमेल कर लोगों को एक-दूसरे से अलग करने का कुत्सिल प्रयास कर रहे हैं, जिसे देश का कोई भी नागरिक बर्दाश्त नहीं करेगा।
संविधान और कानून का बना दिया मजाक : डॉ. खुर्रम
राजधानी के अस्सी फीट रोड स्थित मस्जिद सकलैनी में जुमा की नमाज के बाद औलेमाओं ने कानून संशोधन का विरोध किया। बड़ी तादाद में मौजूद उलेमाओं को संबोधित करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम त्यौहार कमेटी के अध्यक्ष डॉ. औसाफ शाहमीरी खुर्रम ने कहा कि झूठ बोलो और राज करो की नीति पर चल पड़ी केन्द्र सरकार बार कानून के नए-नए रूप पेश कर लोगों को गुमराह कर रही है। लेकिन इसमें छिपी उनकी भावनाओं और खतरनाक इरादों को देश की अवाम बहुत अच्छी तरह समझ रही है। उन्होंने कहा कि इस देश का कोई भी नागरिक यहां से न तो बाहर जाएगा और न ही उसकी नागरिकता पर सवाल किया जा सकता। उन्होंने कहा कि हम और हमारी पीढिय़ां इसी जमीं पर पैदा हुई हैं और यहीं दफन होंगे, किसी सियासी पार्टी द्वारा यह तय नहीं किया जा सकता कि किसी को मुल्क की नागरिकता से खारिज कर दिया जाए। डॉ. खुर्रम ने कहा कि देश के रहनुमाओं को अक्ल और बुद्धि देने की गुजारिश करते हुए अल्लाह तआला से लगातार इबादतें और दुआएं की जा रही हैं। देशभर में शांतिपूर्ण तरीके से नए बदलाव का विरोध भी किया जा रहा है, जहां जरूरत होगी, वहां देश का हर नागरिक खड़ा होकर अपने हक के लिए विद्रोह का रास्ता भी इख्तियार करेगा। उन्होंने कहा कि दुनिया के इतिहास में यह पहला मौका होगा, जब अपने ही मुल्क के कानून को बचाने के लिए अपने ही अगुवाओं से अपने ही देश के लोगों को गोलियां खाना पड़ रही हैं।