भोपाल। सपाक्स संस्था और सपाक्स समाज संस्था 26 फरवरी को पूरे प्रदेश में समस्त जिला मुख्यालयों में संविधान और सुप्रीम कोर्ट का मान बचाने के लिए कार्यक्रम आयोजित करेगी। यह निर्णय शुक्रवार को प्रदेश कार्यकारिणी की संयुक्त बैठक में लिया गया। बैठक में सर्वसम्मति से विचार आया कि जब जब सरकारों ने अनुसूचित जाति जनजाति की तुष्टिकरण की नीति के पालन के लिए गलत नियम बनाए हैं तब तब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी व्याख्या करके संवैधानिक निर्णय दिए हैं। लेकिन सरकारें तुष्टीकरण की नीति के चलते संविधान के संशोधन कर देती हैं और सुप्रीम कोर्ट की मान मर्यादा को नष्ट कर रही हैं।
यह राजनीतिक दलों की तुष्टीकरण की पराकाष्ठा है और इसका कड़ा विरोध किया जाना आवश्यक है। उत्तराखंड राज्य के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण का जो फैसला सुनाया है अब सरकारे एक बार फिर उसके खिलाफ हो रही हैं और इसी 9वी अनुसूची में डालने के लिए गलत दबाव बना रही है।प्रदेश की सरकार की भी इस बैठक में निंदा की गई और कहा गया कि 2 अप्रैल की घटना में अपराध मा संलग्न लोगों के प्रकरण समाप्त करने की घोषणा बेहद गलत है। यह सरकार सामान्य और ओबीसी वर्ग के अधिकारों के साथ खिलवाड़ कर रही है और खुद सरकार 15 फरवरी 2020 को सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा पदोन्नति में आरक्षण के निर्णय के विरोध में प्रदर्शन कर रही है।
वह वर्ग विशेष के एक नेता के 23 फरवरी के भारत बंद के आंदोलन का समर्थन कर रही है। यह स्पष्ट है कि यह सब कुछ देश भर में संविधान में सुप्रीम कोर्ट के सम्मान की धज्जियां उड़ाने के लिए किया जा रहा है। इसके लिए 17 फरवरी 2020 को सभी जिलों में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का सम्मान करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौपा जाऐगा