भोपाल, डेस्क रिपोर्ट| मध्य प्रदेश (Madhyapradesh) की 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव (BJP) में भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) दोनों ही दलों के लिए राह आसान नहीं है, सभी सीटों पर मुकाबला जहां कांटे का माना जा रहा है| वहीं दोनों ही दलों के सामने कई चुनौतियां भी हैं, जो चुनावी समीकरण बिगाड़ सकती हैं|
कोरोना काल (Corona Period) में होने जा रहे उपचुनावों में भाजपा और कांग्रेस नेता ताबड़तोड़ प्रचार में जुट गए हैं, अब सभाओं में भीड़ जुटाने की सीमा भी ख़त्म हो गई है| लेकिन दोनों दलों के सामने सबसे बड़ी चुनौती मतदाताओं को उनके घरों से बाहर लाने की है। लोग अभी भी कोरोना महामारी के कारण अपने घरों से बाहर निकलने में हिचकिचा रहे हैं जो कि पोलिंग को प्रभावित कर सकता है| महिलाएं और बुजुर्ग वोट डालने से दूर रह सकते हैं।
नाराजगी भी बड़ा मुद्दा
इसके आलावा मतदाता अपने गुस्से के कारण मतदान का बहिष्कार कर सकते हैं। कई संगठन, कर्मचारी, आम जनता में खासी नाराजगी भी देखी जा रही है| ग्वालियर-चंबल क्षेत्र जहां भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल पूरा जोर लगा रहे हैं, यहां दोनों राजनीतिक दलों के खिलाफ मतदाताओं की नाराज़गी नजर आ रही है। प्रचार के दौरान यह नाराजगी खुल कर भी सामने आ रही है| वे उन पूर्व कांग्रेसी विधायकों और मंत्रियों से विशेष रूप से नाराज हैं जिन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया| इसके बावजूद भी, मतदाता कांग्रेस के प्रति उत्साही नहीं हैं। इसका कारण कांग्रेस के 15 महीने के शासन से संतुष्ट न होना भी हो सकता है|
नोटा बिगाड़ सकता है समीकरण
पिछले विधानसभा चुनाव में, ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में कांग्रेस की जीत एकतरफा थी। लेकिन सियासी घटनाक्रम के बाद स्थिति साफ़ नहीं है| वहीं भाजपा के खिलाफ भी नाराजगी है, ऐसे में मतदाता इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के नोटा बटन को दबाने का विकल्प भी चुन सकते हैं। नोटा चुनाव में पार्टियों के समीकरण बिगाड़ सकता है|
चुनाव बहिष्कार भी बड़ी चुनौती
चुनाव बहिष्कार भी बड़ी चुनौती है, कई लोग अपनी समस्याओं और मांगों को लेकर पहले ही चुनाव बहिष्कार का एलान कर चुके हैं| इसका नुकसान सत्ता में बैठी पार्टी और विपक्षी पार्टी दोनों को हो सकता है| कई कर्मचारी संगठन, अतिथि विद्वान, अतिथि शिक्षक, संविदा कर्मी, पटवारी भर्ती नियुक्ति समेत रोजगार और सरकारी भर्तियां न निकालने से नाराज युवा द्वारा चुनाव बहिष्कार की आशंका है| ऐसे में उन सभी को आश्वासन देकर साधना बड़ी चुनौती है| इसके साथ ही भाजपा और कांग्रेस को चुनौती देने बसपा भी मैदान में है, जो दोनों के वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है|