सरकारी अस्पतालों में मरीजों की नब्ज टटोंलेंगे प्राइवेट डॉक्टर

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भोपाल। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों का टोटा है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में तो बहुत कम डॉक्टर जाना चाहते हैं। अधिकांश डॉक्टर शहर में ही अच्छी-खासी निजी प्रेक्टिस कर रहे हैं। अब सरकारी अस्पतालों में आने वाले गरीब मरीजों के लिए एक नई योजना अमल में लाई जा रही है, जिसके चलते दो घंटे के लिए निजी डॉक्टरों की सेवाएं ली जाएंगी और बदले में उन्हें 2250 रुपए का मानदेय दिया जाएगा।

भोपाल, इंदौर जैसे शहर में जहां निजी अस्पतालों की संख्या अच्छी-खासी है, वहीं डॉक्टरों की निजी प्रेक्टिस भी अच्छी-खासी रहती है।  अब स्वास्थ्य विभाग ने एक नई योजना पर अमल करने का निर्णय लिया है, जिसके चलते सरकारी अस्पतालों के लिए दो घंटे निजी डॉक्टरों की सेवाएं ली जाएंगी। हफ्ते में किसी निर्धारित दिन ये निजी डॉक्टर सरकारी अस्पताल में बैठेंगे और ओपीडी में आने वाले मरीजों का उपचार करेंगे।

दो घंटे का 2250 का मानदेय 

 निजी डॉक्टरों को दो घंटे इन सरकारी अस्पतालों में अपनी सेवाएं देना पड़ेगी और बदले में उन्हें प्रतिदिन की दो घंटे सेवा के एवज में 2250 रु. का मानदेय विभाग की ओर से दिया जाएगा। राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत स्वास्थ्य विभाग जाने-माने निजी डॉक्टरों को इसका आॅफर दे रहा है। इसमें हर क्षेत्र के विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाएं ली जाएंगी। खासकर हृदय रोग विशेषज्ञ, ी रोग, शिशु रोग, चर्म रोग, नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग के अलावा जनरल मेडिसिन विशेषज्ञ यानी एमडी और सर्जन शामिल रहेंगे। इसके लिए कोई भी निजी डॉक्टर अपनी सेवाएं दे सकेगा। सिर्फ उसके पास एमडी की डिग्री और मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया का रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य है। 

विशेषज्ञों की अलग-अलग ड्यूटी

अलग-अलग रोगों के विशेषज्ञों को अलग-अलग दिन इन सरकारी अस्पतालों में बैठाया जाएगा और दो घंटे ओपीडी में इनकी सेवाएं ली जाएंगी और उसका व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक गरीब मरीज इसका फायदा उठा सकें। जिन निजी डॉक्टरों की प्रेक्टिस कम चलती है वे अवश्य इस योजना में शामिल हो सकते हैं। इससे उन्हें भी अपनी निजी प्रेक्टिस के लिए मरीज मिल जाएंगे।पदस्थ 


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