भोपाल।
इन दिनों हर काम को लेकर नई सरकार प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है। कभी तबादलों को लेकर तो कभी युवाओं को लिए गए फैसलों को लेकर। वही आचार संहिता लागू होने से पहले जल्दबाजी में तबादला कर रही राज्य सरकार नियमों को भी दरकिनार करने से नही चूक रही है। ताजा मामला राजधानी भोपाल से सामनेआया है। यहां लोक निर्माण विभाग द्वारा एक दागी अफसर को नई सड़क का प्राइम प्रोजेक्ट सौंपा गया है। जबकी कुछ महिने पहले ही उस अफसर की अनियमितता के चलते 7 वेतनवृद्धि रोकी गई थी।हालांकि यह पहला मामला नही है इसके पहले भी कई दागी अफसरों को नई सरकार में तवज्जों दी गई है।
दरअसल, विधानसभा चुनाव से पहले लोक निर्माण विभाग ने जांच के बाद 28 मई 2018 को विजय सिंह को अनियमितता और कदाचरण के चलते चार वेतनवृद्धि संचयी प्रभाव से रोकने के आदेश जारी किए थे। लोनिवि उपसंभाग जतारा (टीकमगढ़) में पदस्थापना के दौरान जतारा-लिधोरा-ज्योरा सड़क का निर्माण जांच में घटिया पाया गया था। इससे सड़क क्षतिग्रस्त हो गई थी। सड़क निर्माण और पर्यवेक्षण में विजय सिंह की गंभीर लापरवाही पाई गई थी। इस कारण उनकी चार वेतनवृद्धि रोकी गईं। यह कार्रवाई कदाचरण के लिए मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 10 के तहत की गई। दंडात्मक कार्रवाई में लोक सेवा आयोग की सहमति भी लिए जाने का जिक्र किया गया है।
वही अब विभाग द्वारा पटेल को लोक निर्माण विभाग द्वारा राजधानी में वीआईपी रोड की तर्ज पर बनाई जा रही नई कांक्रीट सड़क के प्राइम प्रोजेक्ट में एसडीओ बनाया गया है। यह प्रोजेक्ट 40 करोड़ रुपए की लागत से दो साल में पूरा किया जाना है। इसके पीछे कारण राजनैतिक नेताओं का हाथ माना जा रहा है।चुंकी पिछले सरकार में पटेल को अनियमितता के चलते वेतनवृद्धि रोकने की दंडात्मक कार्रवाई की गई थी और वही सत्ता परिवर्तित होते ही उन्हें इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट का एसडीओ बनाया गया है।यह नई कांक्रीट की सड़क चूनाभट्टी से शाहपुरा, होशंगाबाद रोड, लहारपुर-बर्रई होकर रायसेन-होशंगाबाद बायपास रोड को कनेक्ट करेगी। इससे राजधानी के लोगों को ट्रैफिक जाम से राहत मिलेगी।