भोपाल। गर्मियों में तापमान बढऩे पर जंगलों में आए दिन आगजनी की घटनाएं सामने आती रहती हैं। जंगलों में आग से जुड़ा नया तथ्य सामने आया है कि देश में सबसे ज्यादा आगजनी की घटनाएं मप्र के जंगलों में हो रही है। सेटेलाइट सर्वे में यह खुलासा हुआ है। इसके बाद वन विभाग ने वनों में आग बुझाने के तौर-तरीकों में बदलाव करने जा रहा है।
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआई) सेटेलाइट के जरिए देशभर के जंगलों पर नजर रखे हुए हैं। इस सिस्टम से मध्यप्रदेश का वन विभाग भी जुड़ा हुआ है। आग लगते ही विभाग के अमले को तुरंत मोबाइल पर मैसेज के जरिए लोकेशन मिल रही है। एफएसआई की वेबसाइट के अनुसार, बीते सात दिन में देशभर में सबसे ज्यादा आग मप्र के वन क्षेत्रों में लगी है। जबकि नवंबर 2018 से अप्रैल 2019 के बीच आगजनी की घटनाओं में प्रदेश तीसरे स्थान पर था।
आमतौर पर जंगल की आग के बारे में विभाग को ग्रामीणों और स्टाफ से पता चलता है। मगर घना जंगल होने से कई बार सूचना देरी से मिलती है, जिससे जंगल को का��ी नुकसान होता है। इससे बचने के लिए विभाग और एफएसआई के संयुक्त प्रयास से आग पर काबू पाया जा रहा है। विभाग के मुख्यालय पर सेटेलाइट के जरिए वनक्षेत्रों पर निगरानी रखी जा रही है।
इन कारणों से लगती हैं जंगल में आग
तापमान बढऩे से सूखे पत्तों में आग लग जाती है, जो देखते ही देखते विकराल रूप ले लेती है। ग्रामीण पूजा अर्चना के बाद जंगल में आग छोड़ देते हैं। ग्रामीण जलती बीड़ी-सिगरेट फेंक देते हैं, जिससे गर्मी में पत्ते सूखे होने से तुरंत आग पकड़ लेती है। वन माफिया जंगल में आग लगाता है।
वन कर्मियों की छुट्टियों पर रोक
जंगलों में आगजनी की घटनाएं बढऩे के बाद वन विभाग ने अपने स्टाफ के लिए एक अपील जारी की है कि वे अगले चार से पांच महीने छुट्टियां न लें। इसके पीछे असल वजह यह है कि गर्मी में जंगलों में आग की घटनाएं बढऩे लगी हैं और आग बुझाने के लिए स्टाफ की कमी न पड़े। वरिष्ठ अधिकारियों ने जुलाई तक सभी ट्रेनिंग प्रोग्राम भी आगे बढ़ा दिए हैं।