Aziz Qureshi passed away: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व राज्यपाल अज़ीज़ कुर्रेशी का निधन, लंबे समय से थे बीमार

अपने बोल्ड अंदाज के लिए जाने जाने वाली अज़ीज़ कुर्रेशी अक्सर बयानों की वजह से विवादों में रहे हैं, मप्र विधानसभा चुनाव से पहले भी उनका एक बयान बहुत चर्चा में आया और विवाद भी हुआ, उन्होंने एक कार्यक्रम में उन्होंने कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व पर सवाल खड़े किये थे, अज़ीज़ कुर्रेशी ने कहा था कि कांग्रेस के लोग आज जय गंगा मैया, जय नर्मदा मैया कहते हैं.. ये डूब मरने वाली बात है । 

Aziz Qureshi

Aziz Qureshi passed away : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री, पूर्व राज्यपाल, पूर्व सांसद अज़ीज़ कुर्रेशी का आज निधन हो गया उन्होंने 83 साल की उम्र में अंतिम सांस ली, वे पिछले लंबे समय से बीमार थे , कुछ दिन पहले उनकी तबियत ख़राब हुई तो परिजनों ने अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया था, उनके निधन की सूचना मिलते ही दिग्विजय सिंह अपोलो अस्पताल पहुंचे और परिवार को सांत्वना दी।

भोपाल में जन्म हुआ, तीन राज्यों में राज्यपाल रहे 

अज़ीज़ कुर्रेशी का जन्म 24 अप्रैल 1941 को भोपाल में हुआ था वे तीन राज्यों में राज्यपाल रहे, उन्हें 2012 से 2014 तक उत्तराखंड का राज्यपाल बनाया गया , 2015 में वे उत्तरप्रदेश के राज्यपाल रहे फिर उन्हें मिजोरम के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई, अज़ीज़ कुर्रेशी को 24 जनवरी 2020 को तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने एमपी उर्दू अकादमी का अध्यक्ष नियुक्त किया था, वे मप्र की सरकार में 1973 में मंत्री भी रहे है और 1984 में सतना लोकसभा सीट से  निर्वाचित भी हुए ।

चुनावों से पहले इस बयान से आये थे चर्चा में 

अपने बोल्ड अंदाज के लिए जाने जाने वाली अज़ीज़ कुर्रेशी अक्सर बयानों की वजह से विवादों में रहे हैं, मप्र विधानसभा चुनाव से पहले भी उनका एक बयान बहुत चर्चा में आया और विवाद भी हुआ, उन्होंने एक कार्यक्रम में उन्होंने कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व पर सवाल खड़े किये थे, अज़ीज़ कुर्रेशी ने कहा था कि कांग्रेस के लोग आज जय गंगा मैया, जय नर्मदा मैया कहते हैं.. ये डूब मरने वाली बात है , आगे उन्होंने कहा था  ये एक हद तक बर्दाश्त करेंगे उसेक बाद चुप नहीं बैठेंगे , पानी जब सिर से गुजर जायेगा तो मुसलमानों ने चूड़ियाँ नहीं पहन रखी, 1-2 करोड़ मर भी जायेंगे तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा, उनके इस बयान के बाद मध्य प्रदेश से लेकर उत्तर प्रदेश तक बहुत सियासत हुई थी भाजपा ने कड़ा विरोध जताया था ।   


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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