भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। हाल ही में शिवराज कैबिनेट (Shivraj Cabinet) में नगरीय निकायों के अध्यक्ष और महापौर के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने के लिए मध्यप्रदेश नगर पालिक विधि अध्यादेश (Madhya Pradesh Municipal Law Ordinance) को मंजूरी दी थी और अब नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने इस प्रस्ताव को राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेज दिया है।
दरअसल, सत्ता में आते ही एक के बाद एक शिवराज सरकार (Shivraj Government) ने पिछली कमलनाथ सरकार (Kamalnath Government) के फैसलों को एक के बाद एक बदलना शुरु कर दिया है। इसमें एक फैसला महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों के बीच से कराने का भी फैसला था , जिसे शिवराज सरकार ने पलट दिया है, जिसके तहत अब जनता ही महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष को चुनेगी।हाल ही में कैबिनेट बैठक में नगरीय निकायों के अध्यक्ष और महापौर के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने के लिए मध्यप्रदेश नगर पालिक विधि अध्यादेश को मंजूरी दी गई थी, लेकिन उसे विधानसभा से मंजूरी न मिलने पर वह अभी लागू नहीं हुआ है।इसके लिए राज्य सरकार अब सरकार अध्यादेश लाने की तैयारी में है।वही निकाय चुनाव के छह माह पहले वार्ड परिसीमन करने का संशोधन भी अध्यादेश में शामिल होगा।इसके लिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने प्रस्ताव राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेज दिया है, वहां से मंजूरी मिलते ही आगे की प्रक्रिया शुरु की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि मप्र में 1999 से महापौर का चुनाव सीधे जनता यानी प्रत्यक्ष प्रणाली से हो रहा था। पिछली कांग्रेस सरकार ने इसमें संशोधन कर अप्रत्यक्ष प्रणाली को मंजूरी दे दी थी। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने नगर पालिका निगम एक्ट में बदलाव किया था, इसके तहत चुनाव में जीतकर आए पार्षद, महापौर और नगरपालिका अध्यक्ष को चुन सकते थे। इसके साथ ही चुनाव से दो माह पहले तक वार्ड परिसीमन करने और कलेक्टर को चुनाव के बाद पहला सम्मेलन बुलाने का अधिकार दिया था। विपक्ष में रहते हुए कमलनाथ सरकार के इस फैसले का भाजपा ने जमकर विरोध किया था, लेकिन सरकार ने अध्यादेश के जरिए व्यवस्था में बदलाव किया और फिर विधानसभा में नगर पालिका अधिनियम में संशोधन विधेयक पारित कराकर 27 जनवरी 2020 को इसे लागू कर दिया था।अब इस पूरे फैसले को शिवराज सरकार ने पलट दिया है और अध्यादेश लाने की तैयारी है।