भोपाल। गले तक कर्ज में डूबी शिवराज सरकार चुनाव से पहले फिर दो हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है। खबर है कि ये कर्ज राज्य के विकास कार्यों के लिए लिया जा रहा है।इसको लेकर वित्त विभाग ने पूरी तैयारियां कर ली है। वर्तमान में प्रदेश पर डेढ़ लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है। बता दे कि इसके पहले राज्य सरकार ने भोपाल मेट्रो के लिए 3500 करोड़ रुपए का कर्ज यूरोपियन इनवेस्टमेंट बैंक से लिया था।
दरअसल, चुनाव को देखते हुए आचार संहिता से पहले शिवराज सरकार ने दर्जनों तबाड़तोड़ घोषणाएं की थी, जिन्हें पूरा करने के लिए अब सरकार को धन की जरुरत है, ऐसे में वित्त विभाग के पास पर्याप्त राशि ना होने के चलते प्रदेश सरकार दो हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है। इसे मिलाकर 2018 में सरकार द्वारा लिए जाने वाले कर्ज की राशि 9 हजार करोड़ रुपए हो जाएगी।जिसके विकास कार्यों को पूरा किया जाएगा।हालांकि सरकार की प्रदेश के बजट की 3.50 फीसदी राशि कर्ज के रूप में लेने की लिमिट है, उसके अंदर ही कर्ज लिया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि तेरह साल पहले जब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी थी, तब मध्यप्रदेश सरकार पर 23 हजार करोड़ का कर्जा था, लेकिन इन तेरह सालों में कर्जे की राशि 6 गुना से अधिक बढ़ गई है। फिर भी सरकार कुछ नई बैंकों और संस्थानों से कर्ज लेने की तैयारी में जुटी हुई है। वर्ष 2002-03 के दौरान सरकार पर 23 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज था। इसके बाद बनी भाजपा सरकार ने भी विकास कार्यों के नाम पर धड़ाधड़ कर्ज लिया। वित्त मंत्री जयंत मलैया ने मप्र सरकार पर एक लाख 11 हजार करोड़ का कर्ज 31 मार्च 2016 की स्थिति में बताया था।इस हिसाब से प्रदेश के हर नागरिक पर लगभग 13,800 रुपये का कर्ज है।