पत्रकार का भावपूर्ण लेख: शहादत बदल गई गांव की सड़क की तस्वीर

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट।तमिलनाडु में हेलीकॉप्टर हादसे (Tamil Nadu Helicopter Crash) में सीडीएस बिपिन रावत (CDS Bipin Rawat) के साथ शहीद हुए सीहोर के निवासी जितेंद्र सिंह (Martyr Jitendra Singh) के गांव में मातम पसरा हुआ है। पूरा गांव अब शहीद के पार्थिव शरीर का इंतजार कर रहा है। लेकिन शहीद की शहादत ने गांव की सड़क की तस्वीर भी बदल दी है। मध्य प्रदेश के जाने-माने पत्रकार मकरंद काले ने अपनी फेसबुक पोस्ट (FB Post) पर शहीद के गांव की सड़क को लेकर भावपूर्ण पोस्ट लिखा है।

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पत्रकार (Journalist Makrand Kale)  लिखते है कि  क्या जिंदा रहते नायक जितेंद्र कुमार को एक अच्छी सड़क पर चलने का अधिकार नहीं था। धामंदा गांव में चर्चा का विषय बन रही है ये सड़क… शहीद जितेंद्र कुमार को पूरा देश श्रद्धांजलि दे रहा है। शहीद नायक जितेंद्र कुमार CDS बिपिन रावत के साथ उसी हेलीकॉप्टर में सवार थे, जो एक दर्दनाक हादसे का शिकार हुआ।आज मध्य प्रदेश के हम सारे प्रमुख पत्रकार शहीद जितेंद्र कुमार के घर सीहोर के ग्राम धामंदा पहुंचे। मैं खुद सुबह करीब समय 7:00 जितेंद्र कुमार के घर पहुंचा, इंदौर-भोपाल हाईवे से जितेंद्र कुमार का घर करीब 2 किलोमीटर अंदर है।अंदर मुड़ते ही एक खराब सड़क से हमारा वास्ता पड़ा।।। सड़क पर इतने गड्ढे थे गाड़ी दो बार रोकनी पड़ी।
पत्रकार ने आगे लिखा है कि ये जो वीडियो मैंने शेयर किया है, वह करीब दोपहर 2:00 बजे का है, जब हाईवे से लेकर जितेंद्र कुमार के घर तक पूरी सड़क गिट्टी और मलबा डालकर समतल की जा चुकी थी। पुलिस, नगर निगम, जिला प्रशासन सभी के आला अफसर इस दौरान इसी सड़क से आ जा रहे थे। हालांकि एक सामान्य प्रक्रिया है कि एक सड़क बनाई (रिपेयर) जा रही है।।। लेकिन गांव में इसे लेकर काफी चर्चा हो रही है। गांव के लोगों ने कहा कि जाहिर है शहीद जितेंद्र कुमार का पार्थिव शरीर इसी से लाया जाएगा, बड़े-बड़े वीआइपीज मुलाकात करने इसी रास्ते से आएंगे।

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पत्रकार लिखते है कि हो सकता है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी (उनका गृह जिला होने के नाते) परिवार से मुलाकात करने आएं। और ऐसे में अगर गड्ढे वाली सड़क से साहब को गुजरना पड़ गया तो मुसीबत हो जाएगी।तो बजट भी आ गया, संसाधन भी जुट गए, मैन पावर भी मिल गया और सड़क बननी शुरू। टेंडर, फंड, मौसम, सर्वे, एनओसी ये शब्द कहीं काफूर हो गए, कैसे ???यानि जब धामंदा गांव का एक नौजवान शहीद हुआ, तो उनके गांव को अच्छी सड़क नसीब हुई।।। आज से ठीक 1 महीना पहले 9 नवंबर को श्री जितेंद्र कुमार इसी सड़क से वापस अपने कर्तव्य पथ पर लौटे थे, क्या जिंदा रहते नायक जितेंद्र कुमार को एक अच्छी सड़क पर चलने का अधिकार नहीं था।।
अंत में पत्रकार मकरंद काले ने लिखा है कि मैं जानता हूं कि यह वक्त इस तरह की बात का नहीं है, लेकिन क्या प्रशासन, विभाग, नेता, अधिकारी जनता को उनके अधिकार की सुविधा तभी देंगे,‌ जब उनका कोई आला अफसर उसका उपयोग या उपभोग करने वाला हो। शहीद जितेंद्र कुमार के परिवार को प्रोटोकॉल के तहत सहायता राशि जल्द मिलेगी ऐसा मेरा मानना है लेकिन सेना के सम्मान की बात करने वाले कम से कम वीर जवानों के घर तक एक अच्छी सड़क भी बनवा दें तो जवानों के परिवार और उस गांव पर महति कृपा होगी।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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