भोपाल। प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की कैबिनेट में प्रदेश के सभी अंचलों को कवर करने की कोशिश की गई है। महाकौशल के लिए जबलपुरवासियों को बड़ी सौगात मिली है। भोपाल के बाद जबलपुर से भी दो मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल किया गया है। इनमें कांग्रेस के कद्दावर विधायक लखन घनघोरिया व तरुण भानौत शामिल हैं। संस्कारधानी में इस समय दिवाली का माहौल है। दो नेताओं के आवास पर समर्थकों का जमावड़ा लगा है। ढोल-नगाड़ों के बीच पटाखे चलाकर अपनी खुशी का इजहार कर रहे हैं।
दरअशल, कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव के मद्दे नजर कैबिनेट का विस्तर किया है। इसमें प्रदेश के सभी अंचलों से जीते विधायकों को जातीय समीकरण के साथ मंत्री बनाया गया है। जिससे लोकसभा में इस बार भाजपा को कड़ी टक्कर दी जा सके। क्योंकी अभी कांग्रेस के पास सिर्फ दो लोकसभा सीटें हैं इनमें से एक छिंदवाड़ा खाली करना होगी। वहां से कांग्रेस सांसद कमलनाथ अब प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए हैं। वह सीट छोड़ेंगे। छिंदवाड़ा में भाजपा को क्लीन बोल्ड करने के बाद भी किसी विधायक को मंत्री मंडल में शामिल नहीं किया गया है लेकिन जबलपुर से दो विधायकों को मंत्री बनाकर पार्टी ने पूरे महाकौशल को साधने की कोशिश की है। राजनीतिक के पंडितों का मानना है कि लम्बे समय के बाद जबलपुर को दो कैबिनेट मंत्री के रुप में अरसे बाद बड़ी सौगात मिली है। इससे न केवल जबलपुर बल्कि पूरे महाकोशल के विकास की राह खुल गई है।
काम आएगा विजन
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कमलनाथ के मंत्रिमंडल में पकड़ और लम्बे अनुभव को भी तरजीह दी गई है। यही वजह है कि जबलपुर से लखन और तरुण के नाम कैबिनेट मंत्रियों की फेहरिस्त में शामिल हुए हैं। छात्र राजनीति से लेकर विधायक बनने तक के सफर में घनघोरिया ने जहां शहर के विभिन्न मुद्दों को सदन तक पहुंचाया वहीं तरुण का विकास को लेकर अलग विजन है। पार्षद के बाद विधायक रहते हुए उन्होंने शहर के औद्योगिक पिछड़ेपन पर कई बार चिंता जाहिर की। विपक्ष में रहते हुए उन्होंने पूरी दमदारी से जबलपुर के दर्द को उठाया। अब गेंद उनके ही पाले में हैं। जानकारों का मानना है कि तरुण को शहर की अधोसंरचना का बेहतर ज्ञान है। औद्योगिक घराने से ताल्लुकात के कारण वे उद्योगों की हालत और भरपूर संभावनाओं के बाद भी इस दिशा में शहर के पिछड़ेपन से भी वे बेहतर ढंग से वाकिफ हैं। उनका यही अनुभव शहर के विकास में चार चांद लगाएगा।
लोकसभा पर निशाना
जानकारों का कहना है कि कमलनाथ के मंत्रिमंडल में हर खेमे को संतुष्ट करने का प्रयास किया गया है। एक तरफ लखन और तरुण को कैबिनेट में शामिल करके उन्होंने महाकौशल की उम्मीदों का मान रख दिया वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह के समर्थकों को भी पर्याप्त स्थान देकर संतुलन स्थापित करने का प्रयास किया है। माना जा रहा है कि यह कदम आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीति का एक हिस्सा है। कैबिनेट में शामिल व्यापक प्रभाव वाले नेताओं के समर्थकों को स्थान देकर लोकसभा के रण को भी फतह करने के संकेत दे दिए गए हैं।