भोपाल। मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं महाघोटाला का जिन्न एक बार फिर बाहर आया है| मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में घोटाले के तीन नए मामले सामने आए हैं। फर्जी मूल निवासी प्रमाण पत्र बनवाकर पीएमटी देकर कॉलेज में प्रवेश पाने के आरोप में एसटीएफ तीन परीक्षार्थियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। पीएमटी 2004, 2005 और 2009 में परीक्षा देकर भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में इन लोगों ने प्रवेश लिया था|
एसटीएफ के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अशोक अवस्थी ने प्रेस वार्ता कर इस सम्बन्ध में खुलासा किया| उन्होंने बताया कि शिकायतों की जांच में अभी सामने आया है कि पीएमटी 2004 में सीमा पटेल, 2005 में विकास अग्रवाल तथा 2009 में सीताराम शर्मा द्वारा फर्जी मूल निवासी प्रमाण पत्र के सहारे मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पा लिया था। मूल निवासी प्रमाण पत्र की काउंसिंलिंग से लेकर गांधी मेडिकल कॉलेज तक में सही ढंग से जांच पड़ताल नहीं की गई जिससे तीनों अभ्यर्थियों ने न केवल मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पा लिया बल्कि उन्होंने एमबीबीएस और उसके बाद पीजी भी कर ली। इस समय सीमा पटेल दमोह के शासकीय अस्पताल तथा विकास व सीताराम दिल्ली में निजी अस्पताल में नौकरी कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि सितंबर 2019 में गृह मंत्री बाला बच्चन के आदेश पर व्यापमं घोटाले की 197 पुरानी शिकायतों की जांच शुरू की गई। एसटीएफ द्वारा तीनों पीएमटी में फर्जी तरीके से प्रवेश पाने वालों के मूल निवासी प्रमाण पत्र को जारी करने वाले से लेकर प्रवेश के दौरान उसकी सही ढंग से जांच नहीं करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों को भी आरोपित बनाए जाने की तैयारी है। एसटीएफ एडीजी अवस्थी ने कहा कि यह भी जांच की जा रही है कि मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पाने वाले तीनों आरोपितों के एडमिशन में राजनीतिक-प्रशासनिक गठजोड़ तो नहीं है।