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Fri, Dec 19, 2025

जब महिला IPS अधिकारी ने ही उठाए सवाल- कहा पुलिस सिस्टम में होता है शोषण

Written by:Harpreet Kaur
Published:
जब महिला IPS अधिकारी ने ही उठाए सवाल- कहा पुलिस सिस्टम में होता है शोषण

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। महिला पुलिस के अधिकारों को लेकर प्रदेश की ADG अनुराधा शंकर सिंह ने चौकानें वाली बात की है, पुलिस मुख्यालय में आयोजित वर्टिकल इंटरएक्टिव वर्कशॉप उड़ान में शामिल हुई अनुराधा शंकर ने महिला पुलिस की जो हालत बयां की उसे सुनकर कोई भी हैरान रह जाए, लोगों के अधिकारों और कानून का पालन कराने वाली पुलिस में खुद महिलायें प्रताड़ित है यह सब हालात खुद ADG अनुराधा शंकर ने व्यक्त किए, उन्होंने कहा पुलिस सिस्टम में एक्सप्लॉइटेशन (शोषण) होता है। इतने साल बाद भी कुछ नहीं बदला। कुछ दिन पहले मैं वल्लभ भवन पहुंची, तो देखा कि 2019 में बने नए भवन में मुख्यमंत्री कार्यालय के पास महिलाओं के लिए टॉयलेट नहीं है। क्या महिलाओं को टॉयलेट करने का अधिकार नहीं है? दरअसल, अधिकार तो हमें कभी मिले ही नहीं। हम बस ड्यूटी निभाते आ रहे हैं।

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वही ADG अनुराधा शंकर ने यह भी कहा कि पुलिस में भले ही महिलाओं ने अहम भूमिकाएं निभाई हो लेकिन अफसोस की उन्हे वो जगह वो प्रसिद्धि नहीं मिली जिसकी वो हकदार थी, इस मौके पर उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि धार में दंगे हुए थे। इस दौरान दो महिला टीआई ने फ्रंट पर रहकर व्यवस्था संभाली। उनका जीवन परिचय बनाकर मैंने पुलिस ट्रेनिंग सेंटर्स पर भेजा, लेकिन उसका एक भी रिएक्शन नहीं आया कि हमें उनसे प्रेरणा मिली। यह सब बेहद हतोंउत्साहित करने वाला होता है। अनुराधा शंकर ने कहा कि अधिकार क्या होते है हमें पता तक नहीं और बात करते है, बात अधिकारों की होती है औ हम कर्तव्यों को ही अधिकार समझ लेते है, हम कर्तव्य ही करते आ रहे हैं, हजारों साल से। हमें अधिकार मिले ही नहीं। अधिकार की बात शुरू ही नहीं की। वैसे कहा जाता है कि पुलिस ऐसा विभाग है जो समाज की बुराइयों को खत्म करता है लेकिन संसार में अगर सभी जगह की पुलिस आदर्श है, तो संसार को स्वर्ग हो जाना चाहिए, लेकिन मैंने कहीं स्वर्ग नहीं देखा। रेप होते हैं, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार होता है। ऐसे में महिलाओं को ये नहीं सोचना चाहिए कि उन्हें अधिकार मिल गए हैं। अभी भी हमें अपने अधिकारों की जानकारी नहीं है और हम बड़ी बड़ी बाते करते है। हमारी लड़कियां जबरदस्त कमिटमेंट के साथ काम कर रही हैं। महिलाओं की पदस्थापना के लिए आज तक नीति नहीं बनी।