महाकाल महालोक में 80 प्रतिशत भ्रष्टाचार के आरोप पर मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का कांग्रेस पर पलटवार, छतरपुर का नाम बदलने पर कही बड़ी बात

Atul Saxena
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Minister Govind Singh retaliated on Congress’s allegation : महाकाल महालोक में सप्त ऋषि की मूर्तियों के टूटकर नीचे गिरने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। कांग्रेस की जांच कमेटी ने मूर्तियों को देखने के बाद आरोप लगाये कि इसके निर्माण में 80 प्रतिशत का भ्रष्टाचार हुआ है लेकिन कांग्रेस के आरोप पर प्रदेश के राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने पलटवार किया है।

छतरपुर पहुंचे शिवराज सरकार के कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कांग्रेस के आरोप को सिरे से नकार दिया, उन्होंने कहा कि महाकाल महालोक के निर्माण में किसी भी तरह का भ्रष्टाचार नहीं हुआ, जो मूर्तियाँ खंडित हुई है वो तेज आंधी और बवंडर के कारण हुई हैं, हम 2 महीने में सप्त ऋषियों की इन मूर्तियों  को फिर स एस्थापित कर देंगे, कांग्रेस द्वारा इस घोटाले की हाई कोर्ट के जज से जांच कराने की मांग पर राजस्व मंत्री गोविंद सिंह ने कहा कि कांग्रेस तो कुछ भी कहती रहती हैं।

गौरतलब है कि कांग्रेस की जाँच कमेटी ने कल मंगलवार को महाकाल महालोक में जाकर खंडित हुई सप्त ऋषियों की मूर्तियों को देखा था, इस कमेटी में सज्जन वर्मा, शोभा ओझा, स्थानीय विधायक, समिति के अन्य सदस्य, कुछ मूर्तिकार और निर्माण  विशेषज्ञ भी थे, निरीक्षण के बाद आज सज्जन वर्मा और शोभा ओझा ने आरोप लगाये कि मूर्तियों के निर्माण में 80 प्रतिशत का भ्रष्टाचार हुआ , जो मूर्ति 3 लाख में बन सकती थी वो 10 लाख में बनी वो भी खोखली और इतनी कमजोर की जरा से आंधी में टूटकर उखड गई।

आपको बता दें कि 2 जून को छतरपुर जिले का गौरव दिवस कार्यक्रम है जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल होंगे, मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को इस छतरपुर गौरव दिवस कार्यक्रम का प्रभारी बनाया गया है वे कार्यक्रम की तैयारियों के सिलसिले में अधिकारियों की बैठक लेने आये थे।

परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि छतरपुर जिले का नाम छत्रसाल नगर रखने का प्रस्ताव आया है , बहुत से लोग ऐसा चाहते हैं, हम जनता की मंशा को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक पहुंचाएंगे, उम्मीद की जा सकती है कि छतरपुर गौरव दिवस कार्यक्रम वाले दिन ही मुख्यमंत्री इसकी घोषणा कर दें।

छतरपुर से सुबोध त्रिपाठी की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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