छतरपुर, संजय अवस्थी| थाना क्षेत्र के ग्राम भदर्रा की सहकारी समिति के प्रभारी समिति प्रबंधक सुरेश नायक ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। 52 वर्षीय सुरेश नायक ने 24 जनवरी को ही इस समिति के प्रभारी के रूप में चार्ज संभाला था। इसके पहले समिति प्रबंधक रहे रामस्वरूप राजपूत एवं रविन्द्र त्रिपाठी को घोटाले की शिकायतों में हटाए जाने के बाद उन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसी घोटाले से जुड़े कुछ मामलों को लेकर उक्त दोनों ही पूर्व समिति प्रबंधक अपने चार साथियों के साथ मिलकर सुरेश नायक को प्रताडि़त कर रहे थे जिसके कारण उन्हें आत्महत्या करनी पड़ी। प्रताडऩा की पूरी कहानी सुरेश नायक की जेब से मिले सुसाइड नोट में पता लगी है।
ऑफिस में खाया जहर, ग्वालियर में हुई मौत
उल्लेखनीय है कि मूलत: ग्राम परेथा के निवासी सुरेश नायक पिछले काफी दिनों से परेशान थे। उन्होंने 23 सितम्बर की शाम 4 बजे हरपालपुर में स्थित सहकारी बैंक की दूसरी मंजिल पर काम करते समय जहर खा लिया था। जिस वक्त सुरेश नायक ने जहर खाया उस समय बैंक में मैनेजर जगदीश प्रसाद शर्मा, पूर्व समिति प्रबंधक रविन्द्र त्रिपाठी, कैशियर धीरज नौगरिया, ऑपरेटर रहीस एवं सुमित कुमार नामदेव मौजूद थे। हालत खराब होने के कारण बैंक का एक कर्मचारी उन्हें तत्काल इलाज के लिए निजी अस्पताल में लेकर पहुंचा था और इसी कर्मचारी ने सुरेश नायक के परिवार को उनकी तबियत खराब होने की सूचना दी। सूचना मिलने पर सुरेश नायक का परिवार अस्पताल पहुंचा और उन्हें तत्काल रिफर किए जाने के कारण झांसी लेकर भागा। रात भर झांसी में इलाज चलने के बाद भी उनकी हालत में सुधार नहीं हो रहा था इसलिए डॉक्टरों ने उन्हें ग्वालियर रिफर कर दिया। सुबह 10 बजे जब उन्हें ग्वालियर ले जाया जा रहा था तब उन्होंने हॉस्पिटल पहुंचने के पहले ही दम तोड़ दिया।
ऋण घोटाले से जुड़े हैं मौत के तार
दरअसल समिति प्रबंधक सुरेश नायक की मौत के तार पिछले वर्ष जय किसान ऋण योजना के दौरान सामने आए एक बड़े घोटाले से जुड़े हैं। उल्लेखनीय है कि जब कांग्रेस सरकार ने ऋण माफी योजना का ऐलान किया तो भदर्रा सहकारी समिति से ऋण के नाम पर किया गया एक बड़ा घोटाला उजागर हुआ था। माफी योजना के दौरान पता लगा था कि समिति के लगभग दो सौ किसानों के नाम पर भी सरकार ने राशि माफी की जबकि उन किसानों के द्वारा समिति से कर्ज लिया ही नहीं गया था। यानि समिति के लोगों के द्वारा किसानों के नाम पर फर्जी ऋण निकाले गए थे। जब यह मामला सामने आया तब रविन्द्र त्रिपाठी समिति के प्रबंधक थे। इसके बाद उन्हें हटाकर रामस्वरूप राजपूत को जिम्मेदारी सौंपी गई लेकिन बाद में उन्हें भी हटाया गया और इसी समिति में सेल्समैन रहे सुरेश नायक को प्रभारी समिति प्रबंधक बना दिया गया था। समिति के लोगों की मिलीभगत के कारण एक बड़ा घोटाला किया गया था जिसकी जांच तत्कालीन कलेक्टर मोहित बुंदस के निर्देश पर की जा रही थी। इसी जांच में कई लोगों के नाम सामने आ रहे थे।
सुसाइड नोट में खुली प्रताडऩा की दास्तां
सुरेश नायक के द्वारा जहर खाने और फिर उन्हें झांसी ले जाने के दौरान कुछ बातें पता लगीं। सुरेश नायक की जेब से पुलिस को एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ तो वहीं परिवार के लोगों ने वीडियो बनाकर एंबुलेंस में ही सुरेश नायक से बातचीत कर जहर खाने की वजह पूछी। इस सुसाइड नोट में सुरेश नायक ने कहा है कि मेरे साथ पूर्व समिति प्रबंधक रविन्द्र त्रिपाठी, रामस्वरूप राजपूत ने धोखा किया है। उक्त दोनों ने किसानों के नाम पर समिति से फर्जी ऋण निकाला और मुझे भरोसे में लेकर सेल्समैन के नाते रसीदें कटवाते रहे। उन्होंने कहा कि अब इस जांच में मुझे फंसाने की कोशिश की जा रही है। सुसाइड नोट में दिनेश मिश्रा का जिक्र है जो कि ग्राम भदर्रा का निवासी है एवं ग्राम अमा के निवासी लाखन यादव का भी जिक्र है। उक्त दोनों ने भी सुरेश नायक के साथ धोखा किया और उनसे एक लाख 70 हजार की रसीदें कटवा लीं। पहले उक्त सभी आरोपी सुरेश नायक से कहते रहे कि वे किसानों से पैसा जमा करा देंगे लेकिन अब कोई पैसा जमा नहीं कर रहा है। सुसाइड नोट में सुरेश मिश्रा ने यह भी कहा कि अमा का लाखन यादव उन्हें धमकी देता है और जबरन रूपया मांग रहा है। इसी से परेशान होकर मैं आत्महत्या कर रहा हूं। मैंने कोई गुनाह नहीं किया है मेरे बच्चों मुझे माफ कर देना। सुसाइड नोट के अलावा सुरेश नायक की पुत्री मोहिनी नायक ने भी आरोप लगाए हैं कि उसके पिता उक्त सभी आरोपियों से प्रताडि़त थे। बैंक मैनेजर जगदीश प्रसाद शर्मा पर भी आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने जांच के नाम पर दो दिन पहले 13 हजार रूपए मांगे थे। पुत्री ने कहा है कि उक्त सभी लोगों की प्रताडऩा से तंग आकर ही उनके पिता ने अपनी जान गंवाई है। सभी लोगों पर कार्यवाही की जाए।
इनका कहना-
मामला जांच में लिया गया है। सभी पहलुओं पर विवेचना की जाएगी। एवं निष्पक्ष कार्यवाही होगी।
याकूब खान, टीआई, हरपालपुर