MP News: छिंदवाड़ा मेयर विक्रम अहाके ने नकुलनाथ के बयान को बताया अशोभनीय, कहा- “आदिवासी स्वाभिमानी और सरल स्वभाव का होता है”

बीजेपी में शामिल छिंदवाड़ा के मेयर विक्रम अहाके ने कहा कि आदिवासी समाज स्वाभीमानी और सरल स्वभाव का होता है।

Shashank Baranwal
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Vikram Ahake

MP News: लोकसभा चुनाव 2024 की वोटिंग से पहले नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला शुरू हो गया है। इसी बीच मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में मेयर और पूर्व विधायक विक्रम अहाके ने सोमवार को काग्रेस को छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है। बीजेपी में शामिल होने के बाद उनकी पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। इस दौरान मेयर अहाके ने सांसद नकुलनाथ के बयान को अशोभनीय बताया।

नकुलनाथ के बयान को बताया अशोभनीय

बीजेपी में शामिल छिंदवाड़ा के मेयर विक्रम अहाके ने कहा कि आदिवासी समाज स्वाभीमानी और सरल स्वभाव का होता है। उन्होंने कहा कि 45 साल तक कमलनाथ और नकुलनाथ को आदिवासी समाज ने आशीर्वाद और विश्वास दिया है। इसके अलावा विधायक कमलेश शाह पर की गई नकुलनाथ की टिप्पणी को अशोभनीय बताया। मेयर अहाके ने कहा कि विधायक कमलेश शाह आदिवासी समाज के सर्वस्व नेता हैं। साथ ही कहा कि उनकी तीन पीढ़ियों से आदिवासी समुदाय को संरक्षण मिलते आया है। दरअसल, नकुलनाथ ने लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कांग्रेस को छोड़ बीजेपी में शामिल हुए विधायक कमलेश शाह पर निशाना साधा। उन्होंने आमसभा में कमलेश को गद्दार और बिकाऊ कहा था।

पीएम मोदी की कार्यशैली से प्रभावित होकर बीजेपी में हुए शामिल

छिंदवाड़ा के मेयर विक्रम अहाके ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव की रीति-नीति और कार्यशैली से प्रभावित होकर बीजेपी में शामिल हुए हैं। साथ ही कहा कि बीजेपी की नीतियों को जमीन तक पहुंचाने का कार्य करेंगे। इसके अलावा उन्होंने कहा कि कमलनाथ और नकुलनाथ से कोई नराजगी नहीं है वो सम्मानीय थे, हैं और सम्मानीय रहेंगे।

 


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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