निगम कमिश्नर सोचते ही रह गए, कलेक्टर खुद लेकर पहुँच गए एक ट्रक त्रिपाल

ग्वालियर,अतुल सक्सेना। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह (Chief Minister Shivraj Singh) की गौ संवर्धन (Cow culture) और गौ संरक्षण (Cow protection) को पलीता लगा रहे ग्वालियर नगर निगम के अफसरों की ग्वालियर कलेक्टर ने ना सिर्फ फटकार लगाई बल्कि एक ऐसा उदाहरण पेश किया जिसकी शहर में लोग चर्चा कर रहे हैं। नगर निगम की आदर्श गौशाला लाल टिपारा गौशाला (Lal Tipara Gaushala) में सर्दी में दम तोड़ती गायों की जानकारी होने के बाद भी नगर निगम कमिश्नर और उनके मातहत सोचते ही रह गए और कलेक्टर गायों को सर्दी से बचाने के लिए खुद एक ट्रक त्रिपाल लेकर पहुँच गए। इतना ही नहीं कलेक्टर की प्रेरणा से गायों के लिए गुड़ और अजवाइन का भी इंतजाम हो गया।

नगर निगम की आदर्श गौशाला लाल टिपारा गौशाला में नौ दिन में 239 गायों की मौत की खबर ने भले ही नगर निगम कमिश्नर संदीप माकिन (Municipal Corporation Commissioner Sandeep makin) और गौशाला की देखभाल करने वाले उनके मातहतों को विचलित नहीं किया हो लेकिन गायों की मौत ने कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ( Collector Kaushalendra Vikram Singh) और अन्य सरकारी अफसरों को इस खबर ने संजीदा कर दिया। एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ ने भी गायों की मौत को खबर को प्रमुखता से अपने पाठकों तक पहुंचाया था। गौरतलब है कि गौ सेवक पत्रकार आकाश सक्सेना ने लाल टिपारा गौशाला में 16 नवंबर से 24 नवंबर तक सर्दी से 239 गायों की मौत का आंकड़ा वायरल किया था। आंकड़ा वायरल होने के बाद जब कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के पास पहुंचा और वे उसी रात गौशाला का निरीक्षण करने पहुँच गए। मालूम चला कि जहाँ बीमार और घायल गाय रखी जाती हैं वहाँ शेड नहीं हैं। कलेक्टर ने गौशाला प्रभारी और अन्य स्टाफ को त्रिपाल का इंतजाम करने के निर्देश दिया लेकिन जब चौबीस घंटे के बाद भी गौ माता को सर्दी से बचाने के इंतजाम नहीं हुए तो कलेक्टर खुद एक ट्रक ट्रिपाल लेकर गौशाला पहुँच गए। उन्होंने अपने हाथों से त्रिपाल को नीचे उतरवाया।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....