भोपाल, गौरव शर्मा। मध्यप्रदेश मे पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग और तेज हो गई है। कांग्रेस के 96 विधायक इस मांग के समर्थन में लामबंद हो चुके हैं वहीं बीजेपी के कुछ विधायकों ने भी इस मांग को लेकर सरकार के सामने गुहार लगाई है। ऐसी स्थिति में सरकार जल्द इस मामले में बड़ा फैसला ले सकती है।
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राजस्थान की सरकार द्वारा 2005 के पहले चल रही पेंशन योजना को शुरू करने और 2005 के समय शुरू की गई नई पेंशन योजना को बंद करने के बाद अब मध्य प्रदेश में भी अधिकारी- कर्मचारी इस मांग के समर्थन में पुरजोर तरीके से उतर आए हैं। तर्क दिया जा रहा है कि पुरानी पेंशन योजना सामाजिक सरोकार से जुड़ी हुई थी और सरकार का कर्तव्य है कि वह बुढ़ापे में अपने अधिकारी- कर्मचारियों के हितों की रक्षा करें। जबकि नई पेंशन योजना में ऐसा कुछ भी नहीं है।
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कांग्रेस इस मुद्दे को विधानसभा में जोरदार तरीके से उठाने के मूड में है। कांग्रेस के 96 विधायक पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए एकजुट हो गए हैं। 6 से ज्यादा विधायक के बजट सत्र में पुरानी पेंशन बहाली को लेकर अशासकीय संकल्प भी दे चुके हैं जहां इन्हें ग्राह्य किये जाने के बाद परीक्षण होगा और संकल्प पारित होने पर वोटिंग के जरिए पुरानी पेंशन बहाली का रास्ता खुल सकता है।
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वहीं बीजेपी के दो विधायक नारायण त्रिपाठी और अनिल जैन भी इस मामले में मुख्यमंत्री को पत्र लिख चुके हैं। अनिल जैन ने लिखा है कि उनके पास कर्मचारी- अधिकारियों का प्रतिनिधिमंडल आया था जिसने पुरानी पेंशन योजना लागू करने का आग्रह किया है और इस मामले पर विचार किया जाना चाहिए। सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, कोई भी विधायक अधिकारी- कर्मचारियों की नाराजगी मोल लेना नहीं चाहता और आने वाले समय में और भी बीजेपी के भी विधायक इस योजना की बहाली के पक्ष में खड़े दिखाई दे सकते हैं। सोमवार को मध्य प्रदेश के गृह एवं जेल मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा भी संकेत दे चुके हैं कि यह सरकार कर्मचारी हितैषी है और हमेशा कर्मचारी- अधिकारियों के पक्ष में मंथन करके निर्णय लेती है।