डबरा में शासकीय गोदाम से खाद के 75 कट्टे चोरी, जांच में जुटी पुलिस

Shashank Baranwal
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Dabra News: मध्य प्रदेश के डबरा शहर में चोरी का बड़ा मामले सामने आया है। जहां शासकीय गोदाम से 75 कट्टे डीएपी खाद चोरी हो गई। जिसकी कुल कीमत लगभग 1 लाख रुपए बताई जा रही है। वहीं खाद गोदाम प्रभारी जतिन खान ने चोरी के इस मामले की शिकायत डबरा सिटी थाने में दर्ज कराई है।

गोदाम की खिड़की टूटी हुई मिली

इस मामले में गोदाम प्रभारी जतिन खान ने बताया कि जब किसानों को खाद दिलवाने के लिए वह सिंध नदी स्थित गोदाम पर पहुंचा तब वहां देखा कि गोदाम की एक खिड़की टूटी हुई है। जिसमें से खाद के 75 कट्टे गायब है। इसकी सूचना गोदाम प्रभारी जतिन खान ने तत्काल अपने वरिष्ठ अधिकारियों और पुलिस को दी। वहीं पुलिस मौके पर पहुंचकर मामले की जांच पड़ताल में जुट गई। जतिन खान का कहना है कि वहां जो चौकीदार रहता है उसको इस घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है। जिसकी शिकायत उन्होंने डबरा सिटी थाने में पहुंचकर कराई।

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पुलिस बारीकी से कर रही पड़ताल

इस पूरे मामले को लेकर डबरा सिटी थाना प्रभारी यशवंत गोयल ने बताया कि गोदाम में चोरी की सूचना मिलने के बाद पुलिस तत्काल मौके पर पहुंची। जहां पाया कि गोदाम की खिड़की टूटी हुई थी और उसमें से डीएपी खाद के 75 कट्टे चोरी कर लिए गए हैं। साथ ही कहा पुलिस इस मामले की जांच पड़ताल बारीकी से कर रही है, जल्द ही चोरी का खुलासा कर चोरों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

प्रशासन पर सवाल खड़ा कर रही यह घटना

लेकिन सोचने वाली बात यह है कि डीएपी खाद को लेने के लिए किसान सुबह से शाम तक परेशान होते हैं। उसके बाद उन्हें खाद मिल पाता है और कुछ किसानों को तो मिल भी नहीं पाता। लेकिन ऐसे में चोरों का इस तरह गोदाम में से खाद चुरा लेना कहीं ना कहीं संदिग्धता बयां कर रही है, क्योंकि पहले किसानों के लिए खाद की किल्लत और दूसरी तरफ यह चोरी। जिसके चलते प्रशासन पर बड़ा सवाल खडा हो रहा है।

डबरा से अरूण रजक की रिपोर्ट


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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