Dabra News : मध्य प्रदेश के डाबरा से गंभीर समस्या सामने आई है, जहां सिविल अस्पताल प्रबंधन ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान की खुलेआम धज्जियां उड़ाई है। बता दें कि यहां हर महीने शौचालय की सफाई पर हजारों रुपए खर्च किए जाते हैं। इसके बावजूद, शौचालय की स्थिति बद-से-बत्तर बनी हुई है। जिस पर अस्पताल प्रबंधन द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसे सिविल अस्पताल की बेबसी कहे या अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही। आइए जानते हैं विस्तार से…
करोड़ों रूपये हो रहे खर्च
जहां एक ओर केंद्र और राज्य सरकारों ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत करोड़ों रूपया खर्चकर आम जनता के बीच शौचालयों की अहमियत बताने के लिए लोगों को जागरूक करने में मीडिया के माध्यम से विज्ञापनों पर करोड़ों खर्च किया जा रहा है। इसके बाबजूद भी शौचालयों की स्थिति देखी जाए, तो उनमें साफ-सफाई 1 प्रतिशत भी नहीं देखने को मिलती। अस्पताल में आने वाले मरीज और उनके अटेंडरौं ने शौचालयों का उपयोग बंद कर दिया है।
गंदगी का अंबार
ओपीडी रूम में डयूटी करने वाले डॉक्टरों के शौचालय भी काफी ज्यादा गंदे हैं। जिसका उपयोग उन्हें मजबूरी में करना पड़ रहा है। आलम यह है कि पानी का उपयोग भी बाल्टी और मग्गों से करना पड़ता है। बता दें कि यहां प्रतिदिन 700 से 800 मरीज ओपीडी में आते है क्योंकि डबरा एवं भितरवार अनुभाग के अंतर्गत यही एक मात्र सिविल अस्पताल है। वहीं, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अस्पताल की सफाई के लिए परमानेंट कर्मचारियों के अलावा संविदा पर भी कुछ कर्मचारी काम कर रहे है। जिन्हें सैलेरी के रूप में हजारों रूपया प्रतिमाह अस्पताल प्रबंधन की ओर से दिया जाता है। इसके बावजूद, शौचालय गंदगी में तब्दील हो गया है।
डबरा से अरूण रजक की रिपोर्ट