रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामले कम होने के नाम नहीं ले रहे हैं। सरकार द्वारा कर्मचारियों और अधिकारियों को वेतन और अन्य सुविधाएं मिलने के बाद भी वे रिश्वत की माँग करते हैं। डबरा (Dabra News) में ऐसा एक और मामला सामने आया है। पीड़ित एक पीड़ित फौती नामांतरण के लिए पिछले एक साल से तहसील के चक्कर काट रहा है। पटवारी पर रिश्वत लेने के बाद भी अब तक काम नहीं करने का आरोप लगाया है।
फरियादी ने हलके के पटवारी पर एक साल के अंदर 10 हजार रुपये रिश्वत लेकर भी फौती नामांतरण नहीं करवाने का गंभीर रूप लगाया है। जिसकी शिकायत फरियादी ने परेशान होकर डबरा एसडीएम दिव्यांशु चौधरी के यहां लिखित में दी है।

क्या है मामला?
फरियादी किसान केदार बंजारा निवासी मेहगांव ने बताया कि उसकी जमीन मेहगांव में पड़ी हुई है। जिसके फौती नामांतरण करवाने के लिए उसने मेहगांव हल्के के पटवारी प्रमोद यादव से बात की थी। पटवारी ने 8 महीने पहले इस काम के लिए 8 हजार रुपये रिश्वत ली थी। इसके बाद पटवारी और पैसों की लालच में उसे गुमराह करता रहा। 4 महीने ही काम पूरा होने का दावा करते हुए फरियादी से 2 हजार रुपये लिए गए। लेकिन अब तक काम नहीं हुआ है।
तहसीलदार से की शिकायत, लेकिन कोई एक्शन नहीं
केदार बंजारा बताया कि इस मामले की शिकायत उसने पूर्व नायब तहसीलदार अनिल नरवरिया से भी दो बार मौखिक रूप से की थी। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिसके बाद डबरा एसडीएम के पास फरियादी ने न्याय की उम्मीद में लिखित शिकायत दर्ज की है। जांच करके उचित कार्रवाई की मांग भी की है।