डबरा, सलिल श्रीवास्तव। डबरा और भितरवार अंचल में बाढ़ का कहर है और कई गांव बाढ़ की चपेट में आकर पूरी तरह से तहस-नहस हो चुके हैं। कई लोगों के पास अब ना तो आशियाना है और ना ही खाने का। सरकार और प्रशासन तो इन हालात में मदद कर ही रहे हैं, पर कुछ युवाओं ने भी सार्थक पहल करते हुए मिसाल पेश की है।
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देवरा गांव ने अन्य दो गाँवों को गोद लिया है और अगले एक वर्ष तक उनके खाने-पीने की संपूर्ण व्यवस्था की जिम्मेदारी ली है। इस सार्थक पहल की अब हर ओर चर्चा हो रही है और अन्य गांव भी इससे प्रेरणा ले रहे हैं। आपको बता दें कि डबरा और भितरवार अंचल के कई गांव बाढ़ में पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो चुके हैं कई लोग सड़कों पर सोने को मजबूर हैं और सरकार द्वारा मुहैया कराए जा रहे खाने के पैकेट्स से अपना गुजर बसर कर रहे हैं। ऐसे में देवरा गांव के युवाओं ने आगे आकर इन पीड़ितों की सहायता का संकल्प लिया। इन्होने अपने पूरे गांव की तरफ से संकल्प लिया है कि ये दो गांवों को गोद लेंगे और उनकी खाने पीने की पूरी व्यवस्था करेंगे।
इसे लेकर युवा शक्ति संगठन के सूर्यभान सिंह रावत ने बताया कि 2 दिन पहले जब हम गांव में रसद बांटने पहुंचे तो लोगों का दुख देखकर लगा कि हमें इनके बारे में कुछ सोचना चाहिए और उनकी मदद करनी चाहिए। इस बात को हमने अपने गांव में जाकर बताया और बड़े बुजुर्गों की सलाह ली तो सभी ने मिलकर निर्णय लिया कि हम लोगों को दो गांवों की संपूर्ण जिम्मेदारी उठानी चाहिए। इसके बाद तय किया गया कि अजीतपुरा और लड़ाईयापुरा गांव के भरण पोषण की जिम्मेदारी अब हमारा देवरा गांव उठाएगा और पूरे 1 साल तक लोगों को खाने पीने और कपड़े आदि की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी। इस कड़ी में सबसे पहले गांव ने शनिवार को प्रत्येक घर से 50-50 किलो गेहूं इकट्ठा किया और उसे ट्रॉलियों में भरकर इन दोनों गांवों में पहुंचाया और लोगों को बांटा गया।
इन युवाओं का कहना है कि अब हम आसपास के अन्य गांवों में जाकर भी लोगों से बात करेंगे और उन्हें अन्य गांवों को गोद लेने के लिए प्रेरित करेंगे ताकि जिन लोगों का सबकुछ इस बाढ़ ने छीन लिया उनको कुछ राहत तो दिला सकें। बता दें कि युवाओं की इस पहल की हर जगह चर्चा हो रही है लोगों का कहना है कि जिन गांव में बाढ़ ने दस्तक नहीं दी है और वह सक्षम है तो उन्हें आगे आना चाहिए और उन लोगों की मदद करनी चाहिए जो इस समय अपना सब कुछ इस प्राकृतिक आपदा में खो चुके हैं। अब इतना तो तय है कि युवाओं की पहल पर कुछ और गांव भी इस मुहिम से जुड़ेंगे और बाढ़ पीड़ित कई ग्रामीणों को इसका लाभ मिलेगा।