बिजली विभाग के कर्मचारियों ने लगाए सहायक यंत्री पर गंभीर आरोप, साथ काम करने से किया मना, इमरती देवी की अगुवाई में सौंपा ज्ञापन

Gaurav Sharma
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डबरा, अरुण रजक। यूं तो समूचे मध्यप्रदेश में इस वक्त बिजली विभाग और इसके कर्मचारियों की तनातनी जनता के साथ आम सी बात हो गई है। लेकिन आज ग्वालियर जिले के डबरा तहसील में कुछ अलग ही मामला सामने आया। इस मामले में डबरा नगर के सभी विद्युत कर्मचारियों ने सहायक यंत्री सुरेंद्र गुप्ता के अधीनस्थ कार्य करने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया है। इतना ही नहीं विभाग के कर्मचारियों ने सुरेंद्र गुप्ता पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं। मामला हाथ से निकलने के बाद विद्युत विभाग के कर्मचारियों ने पूर्व मंत्री और वर्तमान में लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष इमरती देवी की अगुवाई में डी ई सिंघारिया को सहायक यंत्री को हटाने के लिए ज्ञापन सौंपा है।

आपको बता दें ज्ञापन के दौरान जब मौजूद पत्रकारों ने कर्मचारियों से ज्ञापन देने के पीछे की वजह जानने की कोशिश की तब वहां उपस्थित एक कर्मचारी ने बताया की सुरेंद्र गुप्ता की भाषा शैली अच्छी नहीं है, वे कर्मचारियों से गाली गलौज तक करते हैं। इतना ही नहीं जब मौजूद पत्रकार ने कर्मचारी से पूछा क्या इनके जैसा अधिकारी होना चाहिए तो उसका और बाकी कर्मचारियों का जवाब था बिल्कुल नहीं।

जब इमरती देवी ने सहायक यंत्री गुप्ता से उनका पक्ष जानने की कोशिश की तब एई गुप्ता ने मौजूद लाइनमैन पर आक्षेप लगाना चालू किए जिसके जवाब में इमरती ने उनसे सबूत मांगे। पर वह लगाता है यही कहते रहे कि मैंने इस बात के सबूत डीई साहब को दे दिए हैं।

बाद में लघु उद्योग निगम मंडल के अध्यक्ष इमरती देवी ने डीइ सिंघारिया के सामने जनता का पक्ष रखा उन्होंने सिंघारिया से कहा “चाहे गरीब हो या अमीर हो, हरिजन हो या सवर्ण हो अत्याचार किसी के भी ऊपर नहीं करना चाहिए। बातों ही बातों में उन्होंने बताया कि कैसे पुरानी जगह से ही गुप्ता का ट्रांसफर होने के बाद नगर वासियों ने मंदिर में जाकर पूजा की थी। मैं विभाग का और अधिकारियों का पूरा समर्थन करती हूं लेकिन जनता पर अत्याचार में कैसे भी नहीं सहूंगी। कर्मचारियों का महत्व विभाग के लिए बताते हुए इमरती ने डीई से कहा के यह केवल कर्मचारी नहीं आपके हाथ और पैर हैं इनके बिना विभाग अपंग है।”

हालांकि सिंघारिया ने इमरती देवी के सामने अपने अधिकारियों का पक्ष रखने की पूरी कोशिश की लेकिन इमरती जनता की आवाज बनकर अपना और जनता का पक्ष उनके सामने रखती रहीं।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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