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Sat, Dec 20, 2025

क्या रामगढ़ नाला मामले में प्रशासनिक लापरवाही पर होगी कार्रवाई? डबरा के लोग पूछ रहे सवाल

Written by:Atul Saxena
Published:
बारिश पूर्व नलों की सफाई का स्थाई आदेश है और सरकार हर साल इसका रिमांडर भी करती है, नगरीय निकायों को इसके लिए बजट भी मिलता है लेकिन ये बजट जाता कहाँ है? जब नाला साफ ही नहीं होता तो उस राशि का हिसाब सरकार क्यों नहीं मांगती? ये भी जनता जानना चाहती है। 
क्या रामगढ़ नाला मामले में प्रशासनिक लापरवाही पर होगी कार्रवाई? डबरा के लोग पूछ रहे सवाल

डबरा शहर में एक बार फिर बारिश के साथ ही रामगढ़ नाले ने शहर की जनता को डराना शुरू कर दिया है। सवाल अब केवल मौसम या नाले की गहराई पर नहीं, बल्कि प्रशासन की गंभीरता पर उठ रहे हैं। सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या प्रदेश सरकार इस मामले को लेकर डबरा प्रशासन से सवाल करेगी?

पिछले साल की त्रासदी और प्रशासन की भूमिका

सितंबर 2024 में आई भारी बारिश के चलते रामगढ़ नाले का पानी डबरा शहर के कई हिस्सों में घुस गया था, जिसमें मुख्य रूप से नंदू का डेरा शामिल था। हालात इतने खराब हो गए थे कि दर्जनों परिवारों की गृहस्थी पूरी तरह से बर्बाद हो गई थी। कई लोग अपने घर छोड़कर दूसरी जगह शरण में रहने को मजबूर हुए थे। प्रशासन ने राहत व्यवस्था के नाम पर खानापूर्ति जरूर की, लेकिन वह जरूरतमंदों तक समय पर और व्यवस्थित ढंग से नहीं पहुंची। ऐसे में समाजसेवी संगठनों और स्थानीय लोगों ने आगे बढ़कर राहत का काम संभाला। उन्होंने पीड़ितों को भोजन, कपड़े और दवाइयां उपलब्ध कराईं, जो वास्तव में प्रशासन की ज़िम्मेदारी थी।

मुआवजे की फाइलें और सिर्फ़ “आश्वासन”

आपदा के बाद पीड़ितों द्वारा प्रशासन को मुआवजे के लिए कई बार आवेदन दिए गए। लेकिन हर बार केवल जांच का आश्वासन ही मिला। न तो कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए गए और अगर किए भी गए, तो वे ज़मीन पर नहीं उतर सके। न ही पीड़ितों को आज तक नुकसान के अनुसार कोई ठोस सहायता प्रदान की गई।

क्या प्रशासन की कोई जवाबदेही नहीं?

  • सवाल यह है कि प्रशासन ने पिछले साल हुई त्रासदी को कितनी गंभीरता से लिया? क्या इस भयावह मंजर को देखने के बाद कलेक्टर ग्वालियर, सीएमओ डबरा, नगर पालिका और नगरीय विकास विभाग भोपाल को समय पर पत्र लिखे गए?
  • क्या प्रशासन द्वारा नाले की सफाई, चौड़ीकरण और अतिक्रमण हटाने के लिए नगर पालिका को पर्याप्त निर्देश दिए गए? और यदि दिए गए निर्देशों का पालन नहीं हुआ तो संबंधित अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की गई?

क्या मानसून पूर्व प्रशासन ने नाले का निरीक्षण किया?

  • बड़ा सवाल यह भी है कि पिछले साल बारिश बंद होने के बाद प्रशासन द्वारा नंदू का डेरा और अन्य बाढ़ प्रभावित इलाकों में रहवासियों से कितनी बार मुलाकात की गई?
  • क्या प्रशासन ने दोबारा ऐसी स्थिति न बने, इसके लिए कोई ठोस कार्ययोजना तैयार की? और यदि तैयार की गई तो वह ज़मीन पर क्यों नहीं उतर सकी?
  • इन तमाम सवालों के जवाब नगर की जनता को अवश्य मिलने चाहिए, क्योंकि मामला केवल धन-संपत्ति का नहीं बल्कि लोगों के जीवन और भरोसे का भी है। साथ ही यह भी मूल्यांकन होना चाहिए कि प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी कितनी गंभीरता से निभाई।

जनता की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी कौन लेगा?

  • प्रशासन की पहली और सबसे बड़ी जिम्मेदारी शहरवासियों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करना है। लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी वही हालात सामने आ रहे हैं। अगर इस बार भी बाढ़ जैसे हालात बनते हैं और कोई अनहोनी होती है, तो क्या शासन प्रशासन को ज़िम्मेदार मानेगा?
  • क्या प्रशासन के लापरवाह रवैये पर शासन द्वारा कोई कार्रवाई की जाएगी?
  • क्या डबरा शहर को हर साल जलप्रलय जैसी त्रासदी झेलनी पड़ेगी और प्रशासन केवल कागजों और प्रेस नोटों में ही सक्रिय रहेगा?

बहरहाल जितने भी सवाल डबरा की जनता पूछ रही है वो वाजिब सवाल हैं, प्रशासन की पहली प्राथमिकता जनता को बुनियादी सुविधाएँ  मुहैया कराना होता है, अफसरों को उनके अधिकार क्षेत्र में आने वाली समस्या और जनता की परेशानियों को पहले से भांप कर कार्य योजना बनाने की जरुरत होती है , लेकिन डबरा में रामगढ़ नाले के वर्तमान हालात को देखकर ऐसा लगता है कि डबरा प्रशासन जब प्यास लगे तब कुआ खोदने वाली वाली कहावत से बहुत प्रभावित है , खैर हम उम्मीद करते हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि प्रशासन न सही वो तो जरुर ध्यान रखेगा।

ये हैं रामगढ़ नाले और उसके आसपास के वर्तमान हालात

पिछले साल नाले ने दिखाया था रौद्र रूप