निजी स्कूलों की मनमानी रोकने सख्त हुआ प्रशासन, अब नए सत्र से होंगे यह बड़े बदलाव, जानें

कलेक्टर के मुताबिक फिलहाल पहली ट्रेंनिग हुई है आगामी दिनों में और ट्रेंनिग और मीटिंग कर तमाम पहलुओं पर एकमत होकर निर्णय लिए जायेंगे।

Amit Sengar
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damoh Collector

Damoh News : मध्य प्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानी और रवैये को लेकर लंबे समय से अभिभावक नाराजगी जाहिर करते रहे हैं, लेकिन बच्चों के भविष्य को लेकर सब कुछ सहन कर रहे हैं ऐसे में सूबे के कई जिलो में फीस, कॉपी किताब और ड्रेस को लेकर अलग-अलग कार्यवाहियां स्थानीय स्तर पर सामने आई तो सूबे के दमोह से इस विषय को लेकर बड़ी खबर है जहाँ नए शिक्षण सत्र से बहुत कुछ बदलने वाला है और इस बदलाव को लेकर जिला प्रशासन अभी से सक्रिय हो गया है। जिले के कलेक्टर की पहल पर निजी स्कूलों में एकरूपता लाने और अभिभावकों की सहूलियत को मद्देनजर रखते हुए निर्णय लिये गए हैं जो प्रदेश में अलग तरह के निर्णय कहे जा सकते हैं।

इसे लेकर दमोह के कलेक्टर कार्यालय में निजी स्कूल संचालकों की एक ट्रेनिंग भी कराई गईं है और इस ट्रेनिंग में स्कूल संचालको को बताया गया है कि नए शिक्षण सत्र से उन्हें किन-किन नियम का पालन करना होगा। कलेक्टर सुधीर कोचर के मुताबिक स्कूल शिक्षा विभाग के नियमों के तहत निजी स्कूलों को लेकर प्रयोग जिले में किये जा रहे है और इन नियमो को मानना इन प्रायवेट स्कूलों की बाध्यता भी होगी और न मानने पर उन पर कार्यवाही हो सकेगी। फीस कन्ट्रोलिंग के साथ स्कूल यूनिफार्म कॉपी किताबों की बिक्री को लेकर नियम बनाये गए हैं, जिनका खुलासा आगामी दिनों में होगा। वहीं हो बड़े निर्णय सामने आए हैं उसके मुताबिक जिले में एक हजार की क्षमता से अधिक वाले स्कूलों में अब एडमिशन की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। जिससे पेरेंट्स को स्कूलों के चक्कर नही काटने पड़ेंगे, वही बच्चो का सिलेक्शन भी मेरिट के आधार पर होगा। इस प्रक्रिया से डोनेशन जैसी प्रवत्ति पर नकेल कसेगी।

आगामी दिनों में एकमत होकर लिए जायेंगे निर्णय

इसके अलावा अब जिले भर के निजी स्कूलों में शूज को लेकर भी बड़ा निर्णय हुआ है, इन स्कूलों में पढने वाले छात्र छात्राओं के पैरों में सिर्फ सफेद या काले रंग के जूते ही होंगे। इसके अलावा कोई भी स्कूल किसी अन्य रंग या पैटर्न के जूते ड्रेस कोड में शामिल नही कर सकेगा। कलेक्टर के मुताबिक फिलहाल पहली ट्रेंनिग हुई है आगामी दिनों में और ट्रेंनिग और मीटिंग कर तमाम पहलुओं पर एकमत होकर निर्णय लिए जायेंगे।
दमोह से दिनेश अग्रवाल की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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