Damoh News : हाईकोर्ट के नोटिस के बाद भी किया सरदार पटेल की प्रतिमा का अनावरण

Amit Sengar
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Damoh Unveiling of Sardar Patel Statue : मध्यप्रदेश के दमोह में सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा अनावरण का आयोजन विवादों में आ गया है ,जब एक तरफ एम पी हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया और दूसरी तरफ जिला प्रशासन ने मूर्ती अनावरण को न रोकते हुए झारखंड के राज्यपाल और केंद्रीय मंत्री से मूर्ती का अनावरण भी करा लिया। आरोप है की पार्क का अतिक्रमण किया गया है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उडाते हुए प्रतिमा स्थापित की गई है।

क्या है पूरा मामला देखिये इस रिपोर्ट में

एमपी के दमोह में सागर नाका रेलवे ब्रिज के पास लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा लगाईं गई है , यहाँ एक पार्क बनाया गया है जिसे जिले की कुर्मी क्षत्रिय समाज के लिए दिया गया है। कई सालों से उठती आ रही मांग के बाद यहाँ कुछ महीनो पहले मूर्ती लगाईं गई और इसके अनावरण की तैयारी चल रही थी। इस बीच इलाके के एक पत्रकार अनुराग हजारी ने मध्य्प्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की कि पार्क की जमीन का आवंटन गलत हुआ है और नियमों के खिलाफ है।

हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए दमोह कलेक्टर को नोटिस जारी किया और चार हफ्ते में जवाब देने के लिए कहा लेकिन इस बीच बीते महीने की 28 तारीख को मध्यप्रदेश के राज्यपाल मांगू भाई पटेल के द्वारा मूर्ती के अनावरण का कार्यक्रम फिक्स हो गया लेकिन रातो रात राज्यपाल का कार्यक्रम निरस्त हो गया और जब जानकारी लगी तो वजह मामला कोर्ट में होने की वजह से राज्यपाल ने आने से मना कर दिया। इस मामले में वक़्त पर जवाब ना देने की वजह से हाईकोर्ट ने दमोह कलेक्टर और सरकार को अवमानना का नोटिस जारी किया और 15 दिसंबर को इस अवमानना के मामले में कोर्ट में सुनवाई चल रही थी लेकिन इसी वक़्त इस विवादास्पद जगह पर झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस और केंद्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल मूर्ति का अनवारण कर रहे थे।

इतना ही नहीं जब जिला प्रशासन ने कोर्ट के नोटिस के बाद भी कुछ कार्यवाही नहीं की और यहाँ तक की कोर्ट में पेश भी नहीं हुए तब याचिकाकर्ता अनुराग हजारी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए एक और याचिका भी दायर की जिसमे कहा गया है की सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक पार्क और स्थानों पर महापुरुषों और देवी देवताओं की स्थाई प्रतिमाये लगाने पर रोक है। इस याचिका को भी एम् पी हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया और नोटिस जारी किये है लेकिन जिस वक़्त कोर्ट में नोटिस लिखा जा रहा था उस वक़्त दमोह में दिग्गज नेता मूर्ती का अनवारण कर रहे थे। याचिकाकर्ता की माने तो कलेक्टर ने इस मामले में कोर्ट के नोटिस को गंभीरता से नहीं लिया और इलाके के सांसद और केंद्रीय जलशक्ति राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल के दबाव में आकर एक ट्रस्ट के लिए न सिर्फ जमीन दी बल्कि नियमों के खिलाफ प्रतिमा भी लगवाई गई है।

दूसरे प्रदेश यानी झारखंड के राज्यपाल को दमोह लाकर सरदार पटेल के प्रतिमा का अनावरण कराने वाले केंद्रीय जलशक्ति राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल ने सरदार पटेल की मूर्ती के अनावरण पर ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा की ये दिन दमोह के लिए ऐतिहासिक दिन बन गया है।

वहीं हाईकोर्ट के नोटिस के बाद भी हुए अनावरण समारोह पर दमोह के कलेक्टर का बयान भी सामने आया है। डी एम एस कृष्ण चैतन्य की माने तो उन्हें कोर्ट का नोटिस मिला है जवाब नहीं दिया लेकिन उन्होंने जो जाँच कराई है उसके मुताबिक कहीं भी नियमों को अनदेखा नहीं किया गया है। कलेक्टर कह रहे है कि उनके आला अधिकारियों ने जांच पड़ताल की है और कुर्मी क्षत्रिय समाज को दी गई जमीन के आवंटन में कहीं कोई नियम विरुद्ध काम नहीं हुआ है। चैतन्य के मुताबिक़ वो कोर्ट के नोटिस का जवाब देंगे और जो डायरेक्शन मिलेगा उसके मुताबिक़ कार्यवाही की जायेगी।

बहरहाल एक विवादास्पद मामले में एक राज्यपाल और एक केंद्रीय मंत्री का संबंध होना और वो भी हाईकोर्ट के प्रकरण के वावजूद इन दोनों की मुश्किलें बड़ा सकता है। वहीं इस पूरे मामले में प्रदेश सरकार की भूमिका भी कटघरे में खड़ी है। सवाल ये भी उठते है की जब हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किये तो फिर जवाब क्यों नहीं दिया गया? कोर्ट की अवमानना के साथ जिला प्रशासन ने आखिर क्यों कार्यक्रम करने की अनुमति दी? क्या इस तरह के मामलों में किसी राज्य के राज्यपाल को इनवॉल्ब करना चाहिए था? और सवाल ये भी की जब देश का सबसे बड़ा कोर्ट यानी सुप्रीम कोर्ट नई प्रतिमाओं के लगाए जाने के मामले में मनाही कर चुका है तो फिर स्थानीय प्रशासन और सरकार ने प्रतिमा लगाए जाने की अनुमति क्यों दी ?

दमोह से आशीष कुमार जैन की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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