दमोह की सिविल सोसायटी ने 35 हजार रुपए चंदा इकट्ठा करके बच्चों की पेयजल समस्या का किया समाधान

Gaurav Sharma
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दमोह,गणेश अग्रवाल। प्रदेश के कुछ क्षेत्र आज भी ऐसे है जहां बर्षो से पेयजल की समस्या है, जिसका शासन प्रशासन जनप्रतिनिधियों ने अब तक कोई समाधान नहीं खोजा हैं। ग्रामीण अंचलों में अभी भी प्राथमिक सुविधाएं कम मात्रा में है। छोटे बच्चों को यहां की पाठशालाओं में पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है।

ऐसी ही सेवा भावना का प्रयास शहर की सिविल सोसायटी ने किया और गांव में जाकर स्कूल में सुविधा मुहैया कराते हुए नोहटा ग्राम के प्राथमिक विद्यालय तरी में बच्चों को पेयजल की असुविधा न हो इसलिये सबमर्सिबल लगा कर पानी उपलब्ध करवा दिया। जिसकी खुशी शिक्षकों,पालको और बच्चों में देखी गई। स्कूल के छात्र दीक्षा, रीना,राबिया,आलिया, सोहेल ने बताया कि हम सब पानी की बचत करेंगे,पौधों को पानी देंगे,अब घर से पानी नहीं लाना पड़ेगा।

इस अवसर पर सिविल सोसायटी की तरफ से राजकमल डेविड लाल,धर्मेंद्र राय बेबाक के साथ सदस्यों की उपस्थिति रही।स्कूल शिक्षक ताहिर खान का कहना है हमारे स्कूल के लिये यह बहुत बड़ी उपलब्धि है,सिविल सोसाइटी ने पेयजल की व्यवस्था कर बच्चों को खुशी प्रदान कर दी। सिविल सोसायटी से जुड़े धर्मेन्द्र राय का कहना है कि ये काम शासन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के है पर हम कब तक उनकी राह देखते रहे।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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