Damoh News: दमोह में हॉस्टल की छात्राएं जब पहुंची वृद्धाश्रम, बुजुर्गों का हाल देखते ही छलका दर्द

Sanjucta Pandit
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Damoh News : मध्यप्रदेश के दमोह से बेहद मार्मिक तश्वीरें सामने आई है, जिन्हें देखने और स्कूली बच्चियों की बातें सुनकर आप भी सहम जाएंगे। दरअसल, यह तश्वीरें मासूम के दिलों की सच्चाई बयान कर रही हैं। बता दें कस्तूरबा गांधी गर्ल्स हॉस्टल की छात्राएं वृद्धाश्रम पहुंची। जहां उन्होंने वृद्ध जनों से भेंट की। इस दौरान बुजुर्गों से बात करते- करते वो फबक- फबक कर रोने लगी। आइए जानें पूरा मामला…

आंखें हुई नम

दरअसल, दमोह के जेपीबी स्कूल में बने कस्तूरबा गांधी गर्ल्स हॉस्टल की छात्राओं को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने के लिए वार्डन उन्हें वृद्धाश्रम लेकर गई। जिससे बच्चियों को इसकी जानकारी मिल सके। इस दौरान बच्चियां वहां रहने वाले बुजुर्गों से बात करने लगी। उनसे उसकी पारिवारिक दास्तां सुनकर सभी की आंखें नम हो उठी और वो सभी रो पड़ी, जिससे पूरा माहौल गमगीन हो गया।

मन की पीड़ा की बयान

मीडिया से रुबरु होते हुए लड़कियों ने बताया कि उन्होंने इस तरह की कभी कल्पना ही नहीं की थी कि किसी घर परिवार के बुजुर्गों को इस तरह उनके अपने छोड़ देंगे और ये सब देखकर वो बेहद दुखी हैं। इन स्कूली छात्राओं को वृद्धाश्रम रास नहीं आया और वो बुजुर्गों को इन आश्रमो में नही बल्कि अपने घरों और परिवार के साथ देखना चाहती हैं। शायद तभी एक दो नही बल्कि दर्जनों छात्राओ ने आंखों में आंसू लेकर अपने मन की पीड़ा बयान की।

वार्डन ने दी जानकारी

वहीं, वार्डन राजलक्ष्मी पाराशर ने बताया कि ग्रामीण परिवेश की ये छात्राएं संयुक्त परिवार से आने वाली बच्चियां है। लिहाजा, उनके लिए ये आश्रम आश्चर्यचकित करने वाले हैं और यही वजह है कि बच्चियां रो पड़ी। इस दौरान छात्राओं ने वृद्धाश्रम में बुजुर्गों का सम्मान करने की सामूहिक शपथ भी ली और बुजुर्गों के साथ वक़्त भी बिताया।

दमोह से आशीष कुमार जैन की रिपोर्ट


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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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