दमोह/ छतरपुर, डेस्क रिपोर्ट मध्य प्रदेश (madhya pradesh) में कर्मचारियों पर लापरवाही मामले में कार्रवाई जारी है। जहां प्रशासन तंत्र द्वारा कार्य में लापरवाही बरतने पर सख्त कार्रवाई की जा रही है। ऐसा ही एक मामला अब मध्य प्रदेश के दमोह (damoh) जिले का है। ग्राम पंचायत में अनुपस्थित होकर कार्य के प्रति लापरवाही बरतने के मामले में एक पटवारी (patwari) को सस्पेंड (suspend) कर दिया गया है।
दरअसल अनुभाग अधिकारी (Sub divisional officer) राकेश मरकाम ने पटवारी रूपसिंह टेकाम को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। पटवारी टेकाम पर पंचायत स्तर पर उपस्थित ना होने, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और सीएम किसान कल्याण निधि योजना की फंडिंग कार्य समयावधि में पूरा न करने सहित बैंक खाता सूची संकलित और उपलब्ध न कराए जाने के मामले में लापरवाही बरतने का आरोप है।
जिसके बाद उन्हें मध्यप्रदेश सिविल सेवा वर्गीकरण नियंत्रण अधिनियम 1966 के अंतर्गत निलंबित किया गया है। वहीं निलंबन अवधि में पटवारी तहसील कार्यालय मुख्यालय हटा तलब किए गए हैं।
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छतरपुर : दूसरा मामला छतरपुर जिले से सामने आया है। जहां छतरपुर के कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने शनिवार को 3 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। दरअसल मामला छतरपुर जिले के सलैया गांव का है। शनिवार को कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह निरीक्षण के लिए भ्रमण पर निकले थे। निरीक्षण के दौरान उन्होंने लापरवाही बरतने के मामले में 3 कर्मचारियों को निलंबित करने का आदेश जारी किया है।
इनमें उप स्वास्थ्य केंद्र के पदस्थ एएनएम पूजा भटनागर को निलंबित कर उन्हें जिला चिकित्सालय मुख्यालय छतरपुर अटैच किया गया है। वहीं दूसरी तरफ ग्राम पंचायत सलैया की सचिव सुखलाल साहू और आरएईओ (RAEO) महेश प्रसाद पर निलंबन की कार्रवाई की गई है। जहां दायित्व के निर्वहन में लापरवाही बरतने के मामले में इन दोनों को छतरपुर पंचायत कार्यालय नियत किया गया है। हालांकि निलंबन अवधि तक निलंबित कर्मचारियों को जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा।
इसके साथ ही कलेक्टर शैलेंद्र सिंह ने छतरपुर के नायब तहसीलदार अभिनव शर्मा पर भी अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने के कदाचार मामले में कार्यवाही करने की अनुशंसा की है। दरअसल छतरपुर के नायब तहसीलदार अभिनव शर्मा 14 से 21 दिसंबर तक चिकित्सीय अवकाश पर थे। इसके लिए उन्होंने आवेदन प्रस्तुत किया था। इस मामले में जब एसडीएम कार्यालय द्वारा मेडिकल बोर्ड का प्रमाण पत्र मांगा गया। नायब तहसीलदार प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं करा सके। जिसके बाद कलेक्टर ने संभागायुक्त से कार्रवाई करने की अनुशंसा की है।