दतिया, सत्येन्द्र रावत। वैसे तो दतिया (Datia) जिले का उनाव (Unav ) गांव बालाजी भगवान भास्कर की नगरी के रूप में पूरे देश में अपनी खास पहचान रखता है। जहां भगवान सूर्य का प्राकृतिक यंत्र विद्यमान होने के कारण ही इस नगर को उनाव बालाजी के रूप में जाना और पहचाना जाता है। लेकिन अपनी एक अलग पहचान रखने वाले इस क्षेत्र में कहीं भी शमशान घाट नहीं है। जिसके कारण यहां बसे ग्रामीणों को नदी पार करके अंतिम संस्कार के शमशान घाट जाना पड़ता है। वहीं नदी पर भी पुल की कोई व्यवस्था नहीं है जिसके कारण ग्रामीण बीच नदी से होकर दाह संस्कार के लिए जाते है।
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आज हम आपको इस गाँव की जमीनी हकीकत दिखा रहे हैं। आप इन वीडियो में साफ तौर पर देख भी सकते हैं कि ग्रामीण कैसे किसी मृतक व्यक्ति को नदी की बीच धार से होकर अंतिम संस्कार करने ले जा रहे है। बरसात में तो इस गाँव के ग्रामीणों के सामने और भी विकराल परिस्थिति खड़ी हो जाती है। कई बार तो लोग जब मुर्दा ले जा रहे होते हैं और यकायक नदी में पानी बढ़ जाता है तो मुर्दे के साथ जा रहे लोगों की जान पर बन आती है। वीडियो में आप देख सकते है कि किस तरह लोग अर्थी को लेकर बच्चों के साथ जान जोखिम में डाल कर नदी पार कर रहे है।
क्षेत्र में नहीं है शमशान
बतादें कि जिला मुख्यालय से तकरीबन 20 किलोमीटर दूर यह नगर इन दिनों अव्यवस्थाओं का शिकार है। इस नगर में यदि किसी की मृत्यू हो जाती है तो लोगों के सामने उसका अंतिम संस्कार करने का भारी संकट खड़ा हो जाता है। क्योंकि करीब दस हजार की आबादी वाले इस नगर में कोई मुक्तिधाम नहीं है। लोगों को मुर्दा जलाने के लिए गाँव के समीप से निकली पहूज नदी के गहरे जल के बीच में से होकर जाना पड़ता है। कई बार बृद्ध और बच्चे तो अपने परिजनों के अंतिम संस्कार में शामिल होने से बंचित रह जाते है। वहीं कई बार लोग दुर्घटनाओं का शिकार भी हो जाते है।
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ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि परंपरागत रूप से मृत लोगों का दय संस्कार नदी के उस तरफ किया जाता है। जिसके लिए अर्थी को वहां ले जाना पड़ता है। पर यहां पर कोई भी श्मशान घाट की व्यवस्था नहीं है साथ ही नदी के उस तरफ तीन चार गांव और भी है बरसात के समय नदी का जलस्तर बढ़ जाता है तो लोगों को आने-जाने में दिक्कत आती है। ग्रामीणों की मांग है कि नदी पर रपटा बनाया जाए।
शिवराज से लेकर सिंधिया दे चुके है आश्वासन
बतादें कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया तक इस नदी के रपटा को लेकर आश्वासन दे चुके हैं। पर नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। स्थानीय प्रशासन भी इस मुद्दे पर त्वरित रपटा निर्माण कराने की बात कहता नजर आता है। पर आज तक नदी पर कोई भी रपटा नहीं बनाया गया। वहीं इस मामले में जब दतिया कलेक्टर संजय कुमार से इस बारे में बात की गई तो वही रटा रटाया जवाब रपटा बनाया जा रहा है कहते नजर आए। अब बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि क्या प्रशासन दतिया में पुनः रतनगढ़ हादसे को आमंत्रण देना चाह रहा है।