पुलिस के बारे मे भ्रामक ट्वीट, कमिश्नर ने कार्रवाई के दिए निर्देश

भोपाल डेस्क रिपोर्ट। सोशल मीडिया पर किए गए एक ट्वीट पर भोपाल पुलिस कार्रवाई करेगी। पुलिस कमिश्नर भोपाल के ट्विटर अकाउंट से यह निर्देश दिए गए हैं। भ्रामक ट्वीट में भोपाल डीआईजी के हवाले से एक गलत निर्देश प्रसारित किया जा रहा है।

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सोशल मीडिया पर ‘एक दुखी हिंदू ,सरकार द्वारा शोषित हिंदू’ नाम का एक अकाउंट बना हुआ है। अकाउंट से एक अखबार की कटिंग शेयर कर की गई है जिसमें लिखा है कि भोपाल के डीआईजी ने इस तरह के निर्देश दिए हैं कि पुलिस किसी अपराधी को मारे पीटे तो उसकी जाति पूछ ले SC/ST मुजरिमों के साथ पुलिस मारपीट नहीं करें, नरमी से पेश आए। इस पेपर की कटिंग में यह भी हवाला दिया गया है कि पिछले दिनों अनुसूचित जाति जनजाति आयोग में SC/ST मुजरिमो के साथ पुलिस की मारपीट का संज्ञान लिया था और एक एडवाइजरी जारी की थी और पुलिस पर सवाल उठाए था। इसके बाद भोपाल के डीआईजी ने पुलिस को निर्देश जारी किये है कि एससी एसटी मुजरिमों के साथ मारपीट करने के बजाय नरमी बरते और पूछताछ के दौरान जबरदस्ती न करें। इतना ही नहींर इस निर्देश पर कमेंट भी किया गया है और भाजपा नेता सुशील कुमार के हवाले से कहा गया है कि ऐसे निर्देश जारी होते रहे तो अपराधों पर पुलिस कैसे काबू करेगी।

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कमिश्नर ऑफ पुलिस भोपाल के ट्वीट मे ‘एक दुखी हिंदू ,सरकार द्वारा शोषित हिंदू’ के ट्वीट को को पूरी तरह से भ्रामक बताया गया है। कमिश्नर ऑफ पुलिस भोपाल के ट्वीट मे लिखा गया है कि इस प्रकार की भ्रामक अफवाह फैलाने वाले पर वैधानिक कार्रवाई भी की जाएगी। पुलिस पहले भी सोशल मीडिया पर बिना किसी प्रमाण के किसी भी तरह की अफवाहों को फैलाने वालों पर कार्रवाई करने के निर्देश देती रही है और यह जरूरी हो जाता है कि कठोर कार्रवाई की जाए ताकि अब अफवाहो पर लगाम लग सके।

 


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।