बालाघाट, सुनील कोरे। देशभर में शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri) से भक्ति का माहौल है। मातरानी की आराधना करने वासे भक्त उपवास कर देवी की उपासना में जुटे हैं और मन, काम, क्रोध और लोभ से परे भक्त माता की भक्ति में लीन हैं। मातारानी की भक्ति में किसी भक्त ने चरण पादुका त्याग दी है तो एक भक्त ऐसा भी है जो जनकल्याण की भावना से शरीर पर ज्वारा बोकर मां की उपासना में जमीन पर लेटा है।
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दरअसल बालाघाट जिले के लालबर्रा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम धपेरा निवासी भगतराम मांदरे देवी का अनन्य भगत है। वह सालों से शारदेय नवरात्र पर मां की आराधना और उपासना के लिए कठिन तप करता है। बीते तीन सालों से वह प्रत्येक शारदेय नवरात्र में पैदल मैहर स्थित मां शारदा देवी के दर्शनार्थ जा चुका है, वहीं इस वर्ष से तीन वर्षो तक मां की भक्ति के लिए उसने स्वयं के शरीर पर ज्वारा बोया है। देवीभक्त भगतराम ने यह ज्वारा जगत कल्याण के भाव से बोया है जिससे मातारानी उसके इस तप से प्रसन्न होकर उसकी मनोकामना पूर्ण करें।
मातारानी की उपासना में शरीर पर ज्वारा बोकर दरबार में लेटे भगतराम सिर्फ दूध का सेवन करते हैं। भगतराम का कहना है कि उनकी व्यक्तिगत कोई मनोकामना नहीं है बल्कि वह जगत कल्याण के भाव से प्रतिवर्ष मां के शारदेय नवरात्र पर कठिन तप करते है। इस वर्ष के साथ ही आगामी दो वर्षों तक वह शरीर पर ज्वारा बोकर माता की आराधना करने वाले हैं। वहीं इसके बाद मां की आराधना के लिए वह पैदल डोंगरगढ़ स्थित मां बम्लेश्वरी के दर्शन करने जायेंगे। इस भक्ति में उनका पूरा परिवार भी साथ है। परिवार के लोग उनका पूरा ध्यान रख रहे है। शारदेय नवरात्र पर अपने मायके धरती में आने वाली माता की भक्ति का यह कठिन और अनूठा तप पूरा हो इसके लिए भगतराम और पूरा परिवार मां की भक्ति में लीन है।