भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (MP) में कलेक्टर (Collector) के निर्देश के बावजूद स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही है। जिसके बाद कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा बड़ा एक्शन (action) लिया गया है। दरअसल कलेक्टर ने बैठक कर निर्देश दिए थे कि जाँच कर महिलाओं की एएनसी की जांच की रिकॉर्ड पोर्टल (portal) पर अपलोड की जाए। बावजूद इसके निर्देशों का पालन न करने पर पांच विकास खंड चिकित्सा अधिकारी की एक-एक वेतन वृध्दि (increment) रोकने के आदेश दिए गए हैं।
दरअसल कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के निर्देश के बावजूद स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा समीक्षा बैठक में मातृत्व मृत्यु के मामले में मृत्यु के कारण कार्य न करने और गर्भवती महिलाओं की जांच की रिकॉर्ड पोर्टल पर दर्ज करने की वजह से यह कार्रवाई की गई है। कलेक्टर द्वारा जिन विकासखंड चिकित्सा अधिकारियों की वेतन वृद्धि रोकी गई है। उनमें पनागर के विकास खंड चिकित्सा अधिकारी संतोष ठाकुर, सिहोरा के विकास खंड चिकित्सा अधिकारी दीपक गायकवाड, मझौली के विकास खंड चिकित्सा अधिकारी पारस ठाकुर, वर्गि की विकास खंड चिकित्सा अधिकारी पूर्णिमा ठाकुर और कुंडम के विकास खंड चिकित्सा अधिकारी सोनू शर्मा को शामिल किया गया है।
दरअसल कलेक्टर कर्मवीर शर्मा बीते दिनों विभिन्न योजनाओं और स्वास्थ्य कार्यक्रम की समीक्षा कर रहे थे। समीक्षा बैठक के दौरान उन्होंने विकासखंड चिकित्सा अधिकारियों द्वारा गर्भवती महिलाओं के पंजीयन, एएमसी जननी सुरक्षा योजना आदि के प्रकरणों में मृत्यु के रिव्यु के बारे में जानकारी प्रस्तुत नहीं किए जाने के बाद यह कार्यवाही की है।
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देवास : वहीं दूसरी तरफ टीकाकरण में जिले के पिछड़ने पर अब देवास कलेक्टर द्वारा सख्त रुख अपनाया गया है। लापरवाही करने वाले अधिकारी कर्मचारी पर कलेक्टर ने सख्ती बरतने की बात की। उन्होंने कहा कि अप्रैल में ठीक से कार्य नहीं करने वाले अधिकारी कर्मचारियों को निलंबित किया जाएगा। इसमें किसी भी तरह की सुनवाई नहीं की जाएगी। हर सेंटर पर कर्मचारियों को शाम 6:00 बजे तक रुकना होगा। यदि लोग लापरवाही करते हैं और तय समय से पहले सेंटर छोड़ रहे हैं तो ऐसी लापरवाही कतई बर्दाश्त के योग्य नहीं है।
देवास कलेक्टर चंद्रमौली शुक्ला द्वारा बीते दिनों को रोना वैक्सीनेशन के संबंध में जिला अधिकारियों की बैठक ली गई थी। इस बैठक में कलेक्टर ने साफ निर्देश दिए हैं कि टीकाकरण में कमी आने पर अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
छिंदवाड़ा : कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन द्वारा दिये गये निर्देशों के परिपालन में सी.एम.हेल्पलाईन पोर्टल पर लंबित शिकायतों के उपयुक्त व गुणवत्तायुक्त निराकरण के उद्देश्य से अपर कलेक्टर (विकास) एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत हरेन्द्र नारायण की अध्यक्षता में आज कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न हुआ। प्रशिक्षण कार्यक्रम में अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत एस.के.गुप्ता व जिला प्रबंधक लोक सेवा प्रबंधन मोहन प्रजापति सहित सभी विभागों के सी.एम.हेल्पलाईन में शिकायत के निराकरण संबंधी कार्य करने वाले जिला स्तरीय कर्मचारी कलेक्ट्रेट सभाकक्ष से और एस.डी.एम.सौंसर श्रेयांस कुमट व ब्लाक स्तर के कर्मचारी वी.सी.के माध्यम से शामिल हुये।
अपर कलेक्टर (विकास) एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत नारायण ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में कहा कि सी.एम.हेल्पलाईन के प्रकरणों में आवेदक के आवेदनों का निराकरण संतुष्टिपूर्वक और गुणवत्ता के साथ करें जिससे जिले की ग्रेडिंग ए ग्रेड में रहे। उन्होंने कहा कि निम्न गुणवत्ता के साथ आवेदनों का निराकरण करने पर जिले की ग्रेडिंग पर प्रभाव पडता है। इसलिये इस बात का ध्यान रखें की जब भी आवेदनों का निराकरण दर्ज करें तो भविष्यात्मक वाक्यों का प्रयोग नहीं करें, बल्कि कार्य की वस्तुस्थिति अथवा पात्रता होने या नहीं होने के संबंध में स्पष्ट अभिमत दर्ज करें। जो भी शिकायतें दर्ज होती हैं, उन्हें नियमित रूप से अटैंड करें जिससे इसका वेटेज मिल सके ।
उन्होंने सी.एम.हेल्पलाईन के वेटेज पैरामीटर के संबंध में बताया कि संतुष्टि के साथ बंद शिकायतों के लिये 50 प्रतिशत, 100 दिवस से अधिक लंबित शिकायतों के निराकरण के लिये 10 प्रतिशत, निम्न गुणवत्ता से बंद शिकायतों के निराकरण के लिये 10 प्रतिशत, नॉट अटैंडेंट शिकायतों के लिये 20 प्रतिशत और लंबित शिकायतों की संख्या में कमी के लिये 10 प्रतिशत का वेटेज मिलता है। इसलिये इस पैरामीटर को ध्यान में रखकर शिकायतों का गुणवत्तापूर्ण ढंग से आवेदक की संतुष्टि के साथ निराकरण करना चाहिये।
उन्होंने विभिन्न विभागों द्वारा निम्न गुणवत्ता के साथ बंद की गई शिकायतों के उदाहरणों को सामने रखते हुये इन शिकायतों का उचित निराकरण किये जाने संबंधी मार्गदर्शन भी दिया। उन्होंने प्रशिक्षण में उपस्थित नहीं होने वाले प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क, कौशल विकास, उद्योग, उच्च शिक्षा, राजस्व, जनपद पंचायत और अन्य विभागों से प्रशिक्षण में उपस्थित नहीं होने वाले कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश भी दिये।