मध्य प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। जबलपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में से एक, जिला अस्पताल विक्टोरिया (Victoria District Hospital) के आईसीयू वार्ड में चूहों का आतंक देखने को मिला है। आईसीयू जैसे अति-संवेदनशील वार्ड में, जहां संक्रमण का खतरा सबसे कम होना चाहिए, वहां चूहे खुलेआम मरीजों के बेड के नीचे और आसपास घूमते नजर आए।
इस घटना का खुलासा तब हुआ जब वहां भर्ती एक मरीज के परिजन ने वार्ड के भीतर का वीडियो बना लिया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें चूहे बेखौफ होकर आईसीयू में दौड़ लगाते दिख रहे हैं। वीडियो सामने आने के बाद अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लाजमी हैं।
परिजनों ने की थी शिकायत, नहीं हुई कार्रवाई
आईसीयू में भर्ती मरीजों के परिजनों का आरोप है कि उन्होंने वार्ड में चूहों की मौजूदगी को लेकर ड्यूटी पर तैनात स्टाफ को तुरंत जानकारी दी थी। इसके बावजूद मौके पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई। परिजनों का कहना है कि आईसीयू में गंभीर मरीज भर्ती होते हैं, जिनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता पहले से ही कमजोर होती है। ऐसे में चूहों की मौजूदगी न केवल संक्रमण (Infection) के खतरे को कई गुना बढ़ा देती है, बल्कि किसी बड़े हादसे की वजह भी बन सकती है।
पेस्ट कंट्रोल के दावों की खुली पोल
स्वास्थ्य विभाग अक्सर अस्पतालों में नियमित सफाई, पेस्ट कंट्रोल और संक्रमण-नियंत्रण (Infection Control) के बड़े-बड़े दावे करता है। लेकिन विक्टोरिया अस्पताल का यह वीडियो इन दावों की हकीकत बयां कर रहा है। आईसीयू जैसे ‘हाई-रिस्क जोन’ में चूहों का होना यह दर्शाता है कि या तो पेस्ट कंट्रोल की व्यवस्था पूरी तरह विफल है, या फिर यह प्रक्रिया केवल कागजों तक ही सीमित है। यह सीधे तौर पर मरीजों की सुरक्षा (Patient Safety) के साथ खिलवाड़ है।
इंदौर और छतरपुर की घटनाओं से नहीं लिया सबक
जबलपुर का यह मामला कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले प्रदेश के अन्य जिलों में चूहों के कारण गंभीर घटनाएं घट चुकी हैं।
- इंदौर का मामला: कुछ समय पहले इंदौर के प्रतिष्ठित एमवाय अस्पताल (MY Hospital) में चूहों द्वारा नवजात शिशुओं को कुतरने की दिल दहला देने वाली घटना सामने आई थी, जिसने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया था।
- छतरपुर का मामला: इसी तरह छतरपुर जिला अस्पताल में भी प्रसूता वार्ड में चूहों के आतंक की खबरें आई थीं, जिससे नवजातों और माताओं की सुरक्षा पर सवाल उठे थे।
इन पुरानी घटनाओं के बाद स्वास्थ्य विभाग ने कड़े कदम उठाने की बात कही थी, लेकिन जबलपुर की ताजा तस्वीरें बताती हैं कि जमीनी स्तर पर हालात अब भी जस के तस हैं। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस लापरवाही पर क्या कार्रवाई करता है।





