अजब प्रदेश का गजब मामला : व्यक्ति को डॉक्टरों ने बताया मृत, पोस्टमार्टम के दौरान चल रही थी सांसे

Gaurav Sharma
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सतना, डेस्क रिपोर्ट। भारत सरकार (Government of india) एक ओर विकास (Development) की बात करती है, वहीं दूसरी ओर सरकारी सिस्टम (government system) की लापरवाही (negligence) की खबरें हर दिन सामने आती रहती है। ऐसी सरकारी सिस्टम (government system) की लापरवाही के चलते डॉक्टरों (doctors) ने एक जीवित इंसान (Alive Man) को मृत घोषित (declared dead) कर दिया।

जी हां, ये मामला सतना (satna) जिले के नागौद का है, जहां एक व्यक्ति को करंट लगने (electric Shock) पर परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। वहीं जब व्यक्ति को पोस्टमार्टम के लिए लेकर गए, तो उस व्यक्ति की सांसे चल रही थी। जिसके बाद व्यक्ति का पीएम रोककर उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहीं इसकी जानकारी लगते ही परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए जमकर विरोध प्रदर्शन किया।

इस मामले को लेकर परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन (hospital Administration) पर आरोप लगाया है कि डॉक्टरों ने बिना देखे व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया, जबकि वह जीवित था। इस दौरान विरोध प्रदर्शन (protest) बढ़ता देख मौके पर पहुंची नागौद पुलिस (nagod police) ने जैसे-तैसे भीड़ पर काबू पाया। हालांकि करंट से झुलसे व्यक्ति को सतना रेफर कर दिया गया है।

ये है पूरा मामला

बता दें कि बच्चू कुशवाह उर्फ महेंद्र कुशवाहा नागौद के चंद्रकुइयां गांव का रहने वाला है। जिसकी उम्र (45) वर्ष बताई जा रही है, जो अपने गांव में सब्जी का व्यापार करता है। दरअसल बच्चू कुशवाहा ने शनिवार को अखंड रामायण का पाठ कराया और दूसरे दिन भंडारे का भी आयोजन कराया था। वहीं गांव के कुछ लोग मंदिर में झंडा चढ़ाने के लिए जा रहे थे, तभी महेंद्र कुशवाहा कंरट की चपेट में आ गया। जिसके बाद परिजनों ने आनन-फानन में महेंद्र कुशवाहा को नागौद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत करार कर दिया।

मृत समझे व्यक्ति की चल रही थी सांसे

इसकी जानकारी पुलिस को देते ही शव समझकर व्यक्ति को पोस्टमार्टम के लिए ले गए। जहां डॉक्टरों द्वारा पीएम शुरू किया गया, जिसके बाद व्यक्ति के बॉडी में हलचल होने लगी। जिसे देख डॉक्टर हैरान हो गए और उसे तुरंत ही सतना जिला अस्पताल रेफर किया। वहीं इस मामले की जानकारी पुलिस और परिजनों को दी गई। जिसके बाद परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए विरोध करना शुरू कर दिया।

गुस्साएं परिजन और ग्रामीणों ने किया हंगामा

महेंद्र उर्फ बच्चू कुशवाहा के परिजनों ने उसे जीवित देख खुशी महसूस की। वहीं इस मामले को लेकर परिजन अस्पताल प्रबंधन को फटकार लगाते हुए भड़क उठे। जिसके बाद गुस्साए परिजनों के साथ ग्रामीणों ने भी हंगामा शुरू कर दिया। ग्रामीणों का गुस्सा देख डॉक्टरों ने अपने आपको एक कमरे में बंद कर लिया, वहीं सूचना के बाद मौके पर पहुंची नागौद पुलिस ग्रामीणों को समझा-बूझाकर स्थिति को शांत कराया। फिलहाल व्यक्ति का इलाज सतना के जिला अस्पताल में जारी है।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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