राज्य के इन कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, रिटायरमेंट और डेथ ग्रेच्युटी की राशि बढ़ी, अब मिलेंगे 10 लाख रुपए, जानें डिटेल्स

1972 के ग्रेच्युटी अधिनियम के तहत प्रदेश के स्थायी और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को केवल 3.5 लाख मिलते थे, लेकिन अब उन्हें 10 लाख तक ग्रेच्युटी मिलेगी।

Pooja Khodani
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मध्य प्रदेश वन विभाग में कार्यरत स्थाई कर्मियों एवं दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है। वन विभाग ने 2010 के ग्रेच्युटी अधिनियम के तहत एक नया आदेश जारी किया है, इसके तहत अब कर्मचारियों को सेवानिवृत एवं मृत्यु होने पर ग्रेजुएटी के रूप में अधिकतम 10 लाख रुपए दिए जाएंगे।

वन विभाग के नए नियम के अनुसार, 1972 के ग्रेच्युटी अधिनियम के तहत स्थायी और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को केवल 3.5 लाख मिलते थे, लेकिन 2010 ग्रेच्युटी अधिनियम के तहत अब उन्हें 10 लाख तक ग्रेच्युटी मिलेगी। नई दरें 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगी। ग्रेच्युटी की गणना कर्मचारी के अंतिम वेतन और सेवा वर्षों के आधार पर की जाएगी।

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स्थाई और दैनिक वेतन भोगी कर्मी होंगे लाभान्वित

  • गौरतलब है कि अब तक ग्रेच्युटी अधिनियम 1972 के तहत कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति या मृत्यु होने पर उनके परिजनों को केवल 3.50 लाख रुपए ग्रेच्युटी मिलती थी, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा 2010 में नया ग्रेच्युटी अधिनियम लागू किया था, जिसमें यह राशि बढ़ाकर 10 लाख रुपए की गई और अब सालों बाद वन विभाग के कर्मचारियों के लिए नया ग्रेच्युटी अधिनियम लागू किया है।
  • इस फैसले से विभाग के सभी स्थाई और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी लाभान्वित होंगे। वन विभाग के इस निर्णय के बाद राज्य के अन्य विभागों में भी जल्द ही नए ग्रेच्युटी अधिनियम को लागू किया जा सकता है।

जानिए क्या होती है ग्रेच्युटी

ग्रेच्युटी कर्मचारियों को ग्रेच्युटी एक्ट के तहत रिटायरमेंट पर दिया जाने वाला एक लाभ है। किसी भी कंपनी में लगातार 5 साल काम करने पर कर्मचारी को ग्रेच्युटी का लाभ दिया जाता है।पेमेंट ऑफ ग्रेच्‍युटी एक्‍ट, 1972 के तहत जिस भी कंपनी में 10 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं उसे अपने कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का लाभ देना होता है।आमतौर पर यह पैसा तब मिलता है जब वो कर्मचारी नौकरी छोड़ता है या फिर वह रिटायर होता है। कंपनी में कार्य करते समय अगर कर्मचारी की मौत हो जाती है तो ग्रेच्युटी की रकम नॉमिनी को मिलती है। यहां 5 साल का नियम लागू नहीं होता है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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